रविवार, 24 जनवरी 2021

ऐसे खाये मूंगफली होंगे जादुई फायदे Eat peanuts in this way will be magical benefits

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य"

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सर्दियों में मूंगफली खाने के फायदे (Reason why you must eat peanuts)
1. प्रोटीन का स्रोत 100 ग्राम मूंगफली में लगभग 25.8 ग्राम प्रोटीन होता है.
2. वजन कम करने में कर सकती है मदद .
3. दिल की सेहत के लिए अच्छी है मूंगफली .
4. ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है मूंगफली .
5. मिनरल और विटामिन से भरपूर होती है मूंगफली.
मूंगफली सर्दियों का सबसे लोकप्रिय टाइम पास है. ठंड में दोस्तों, यारों के साथ समूह में बैठकर मूंगफली खाने का अपना ही मजा है. इसे सस्ता बादाम भी कहा जाता है. इस बात से ही ये अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें लगभग वो सारे तत्व पाए जाते हैं जो बादाम में होते हैं लेकिन बेहद सस्ती कीमत पर.
मूंगफली की अपनी मीठास होती है लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है. ज्यादातर लोग तो इसे स्वाद के लिए ही खाते हैं पर यकीन मानिए इससे होने वाले फायदे जानकर आप भी चौंक जाएंगे.
मूंगफली में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप किसी भी कारण से दूध नहीं पी पाते हैं तो यकीन मानिए मूंगफली का सेवन इसका एक बेहतर विकल्प है.
मूंगफली खाने के 8 फायदे:
1. मूंगफली में मौजूद तत्व पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं. इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.
2. मूंगफली खाने से शरीर को ताकत मिलती है. इसके अलावा ये पाचन क्रिया को भी बेहतर रखने में मददगार है.
3. गर्भवती महिलाओं के लिए मूंगफली खाना बहुत फायदेमंद होता है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास बेह

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दरअसल यह वनस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। हेल्थ रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि दूध और अंडे से कई गुना ज्यादा प्रोटीन होता है मूंगफली में । इसके अलावा यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत हैं। थोड़े से मूंगफली के दानों में 426 कैलोरीज, 5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 17 ग्राम प्रोटीन और 35 ग्राम वसा होती है। इसमें विटामिन ई, के और बी6 भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है। साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो भिगोई हुई मूंगफली और भी अधिक फायदेमंद होती है ..क्योंकि मूंगफली के दानों को पानी में भिगोने से इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स बॉडी में पूरी तरह अब्जॉर्ब हो जाते हैं। आज हम आपको भिगोई हुई मूंगफली खाने के कुछ ऐसे ही फायदे बता रहे हैं जिसे जानने का बाद आप दूसरें महंगे पौष्टिक चीजों के बजाए इसका सेवन करना पसंद करेगें।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है
मूंगफली कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में 5.1 फीसदी की कमी आती है। इसके अलावा कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएलसी) की मात्रा भी 7.4 फीसदी घटती है।
पाचन शक्ति बढ़ाता है
मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स होने के कारण ये पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या खत्म हो जाती है.. साथ ही, गैस व एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए है फायदेमंद
मूंगफली का नियमित सेवन गर्भवती स्त्री के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसमें फॉलिक एसिड होता है जो कि गर्भावस्था में शिशु के विकास में मदद करता है।
हार्ट प्रॉब्लम का निजात
शोध से यह भी पता चला है कि सप्ताह में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम रहता है।
त्वचा के लिए भी है लाभकारी
मूंगफली स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होती है। मूंगफली में ओमेगा-6 फैट भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं और अच्छी त्वचा के लिए जिम्मेदार है।
मूड अच्छा बनाता है
मूंगफली में टिस्टोफेन होता है जिस वजह से इसके सेवन से मूड भी अच्छा रहता है।
उम्र का प्रभाव कम करता है
प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन और एंटीआक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से स्किन उम्र भर जवां दिखाई देती है।
आंखों के लिए है रामबाण
मूंगफली का सेवन आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है.. इसमें बीटी कैरोटीन पाया जाता है जिससे आंखें हेल्गी पहती हैं।

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

अच्छी सेहत और लम्बी उम्र चाहिए, तो गेंहू-चावल नहीं बल्कि 'मोटा' अनाज खाइए ,if you want good health and long life, then eat 'fat' grains rather than wheat-rice

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य" 
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भारत देश में पुराने ज़माने में लोग अच्छी सेहत और लम्बी उम्र वाले होते थे क्यूंकि
हमारे बड़े-बूढ़े अक्सर मोटा अनाज खाते थे।और वे मोटा अनाज खाने की सलाह देते थे, लेकिन अब यह स्टडी में भी साबित हो गया है। मोटा अनाज सेहत ही नहीं, पर्यावरण को भी दुरुस्त रखता है। भारत में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ और कई अन्य मोटे अनाज उगाए जाते हैं। ये अनाज आयरन, कॉपर, प्रोटीन जैसे तत्वों से तो भरपूर होते और इनमे  नेचुरल पोषक तत्त्व रहते है।  इनकी खेती आर्गेनिक तरीके से होती हैं, गेहूं, धान जैसी फसलों की तरह ग्रीन हाउस गैसों के बनने का कारण भी नहीं बनते।


गेहूं-धान उगाने में यूरिया का इस्तेमाल होता है 
एक स्टडी बताती है कि गेहूं और धान को उगाने में यूरिया का बहुत प्रयोग किया जाता है। यूरिया जब विघटित होता है, तो नाइट्रस ऑक्साइड, नाइट्रेट, अमोनिया और अन्य तत्वों में बदल जाता है। नाइट्रस ऑक्साइड हवा में घुलकर स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है। इससे सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। यह एसिड रेन का कारण भी बनती है। यह गैस तामपान में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी करती है।

कम पानी में भी उग जाते हैं मोटे अनाज
जर्नल ग्लोबल एनवायरनमेंटल चेंज में छपी इस स्टडी में कहा गया है कि गेंहू और धान के विपरीत मोटे अनाजों को उगाने के लिए यूरिया की खास जरूरत नहीं होती। वह कम पानी वाली जमीन में भी आसानी से उग जाते हैं। इस कारण ये पर्यावरण के लिए ज्यादा बेहतर होते हैं।

सरकार का जोर
जहां मोटे अनाजों का रकबा कम हो रहा है और किसान उन्हें कम उगा रहे हैं, वहीं सरकार इन्हें बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वह इनके पोषक गुणों को देखते हुए लोगों से इनका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को कह रही है। वह इन्हें मिड-डे मील स्कीम में भी शामिल कर रही है।



कमी को लेकर चिंता
इस पर अफसोस जताया गया है कि पिछले कई दशकों से मोटे अनाजों के रकबे में लगातार कमी आती जा रही है। स्टडी के मुताबिक, 1966 में देश में करीब 4.5 करोड़ हेक्टेयर में मोटा अनाज उगाया जाता था। रकबा घटकर ढाई करोड़ हेक्टेयर के आसपास रह गया है। स्टडी में इसके लिए भारत की हरित क्रांति को जिम्मेदार ठहराया गया है।


अगर आप चाहते हैं कि आप हमेशा स्वस्थ रहें तो आपको आज ही ज्वार, बाजरा, रागी और मक्का जैसे मोटे अनाजों का सेवन शुरू कर देना चाहिए। गेंहू और धान जैसे अनाज में सभी पोषक तत्व नहीं पाए जाते तथा इनमे उगाने के लिए होने वाले रसायन के इस्तेमाल से ये कम  पोषक तत्त्व वाले हो जाते है , 





गुरुवार, 14 जनवरी 2021

मिलावटी आटे की बनी रोटियों से जा सकती है जान, घर पर ऐसे करें पहचान, Can be killed with adulterated flour cakes, identify at home like this

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आटे और मैदे में फाइबर, विटामिंस और न्यूट्रिएंट्स बहुत भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन मिलावटी आटे के इस्तेमाल से हमें ये फायदे नहीं म‍िल पाते और यह हमारे सेहत को जो नुसान होता है वह अलग। म‍िलावटखोर गेहूं के आटे में अक्सर चाक पाउडर, बोरिक पाउडर, खड़िया मिट्टी और मैदा मिलाते हैं।

आजकल गेहूं को पिसवाकर आटा बनाने के बजाय मार्केट से पैक्ड आटा लेना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन बाजार से लिए गए आटे में मिलावट होती है। तो जान‍िए क‍ि कैसे करें आटे की शुद्ध की पहचान।

गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिए उसमें घटिया चावल का चूरा भी मिलाया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे आसान टिप्‍स बताने जा रहे हैं ज‍िन्हें आजमाकर आप खुद परख सकते हैं कि आटा शुद्ध है या मिलावटी।

शुद्ध आटे की पहचान उसको गूंधते और उसकी रोटी बनाते समय भी की जा सकती है। जब आप शुद्ध आटे को गूंधते हो तो वो बहुत नर्म होता है और उससे बनी रोटियां भी अच्छी तरह से फूलती है। मिलावटी आटे को गूंधने में असली आटे के बनिस्पत कम पानी की जरूरत होती है। मिलावटी आटे की रोटियां बेशक ज्यादा सफेद होती हैं, मगर उन में नेचुरल स्वीटनेस नहीं होती। आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है और बेलने पर रोटी नहीं फैलती, च्यूइंगम की तरह खिंचती हैं।

आटा/मैदा या सूजी में कुछ मिलावटखोर लोहे का बुरादा भी मिलाते हैं। इसे जांचने के लिए किसी कांच की प्लेट में थोड़ा सा आटा या मैदा लीजिए। इसपर एक चुम्बक घुमाइये। यदि आटा/मैदा शुद्ध होगा तो चुम्बक पर कुछ नहीं चिपकेगा, लेकिन यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो लोहे का बुरादा चुम्बक पर नजर आएगा।

​हाइड्रोक्‍लोर‍िक एसिड से लगाएं मिलावट का पता

आटे में मिलावट को आप घर पर ही साइंटिफिक तरीके से भी चेक कर सकते हैं। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आपको मेडिकल स्टोर में मिल जाएगा। आटे की मिलावट जांचने के लिए आप एक टेस्ट-ट्यूब लीजिए और उसमें थोड़ा-सा आटा डालें। फिर इसमें थोड़ा-सा हाइड्रोक्‍लोरि‍क एसिड डालें। हाइड्रोक्‍लोरि‍क एसिड डालने पर अगर ट्यूब में कुछ छानने वाली चीज नजर आए तो समझ लें कि आटे में मिलावट की गई है।

पानी से जांचें मिलावट को

एक कांच के गिलास में आधा गिलास पानी भरें और इसमें एक चम्मच आटा डालें। यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो उसमें मिलाई गई चीजें भूसी, रेशे और चोकर पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगेंगे। इसका अर्थ यह है कि आटे में मिलावट है।

नींबू का रस

नींबू के रस की मदद से भी मिलावटी आटे की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बड़ा चम्मच आटा लेकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे डालें। अगर आटे में बुलबुले बने या हल्की झाग की तरह दिखे तो आटे में चॉक पाउडर या खड़िया मिट्टी की मिलावट की गई है। क्योंकि चॉक पाउडर और खड़िया मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट होता है जो नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड से मिलने के बाद झाग छोड़ता है, जिसके कारण बुलबुले बनते हैं।

सिंघाड़े और कुट्टू के आटा में मिलावट की पहचान

मुनाफे के लिए मिलावटखोर कुट्टू के आटे में अरारोट पाउडर, पिसा चावल, खरपतवार की बीज (कुंज्जू) या बाजरा को पीसकर मिला देते हैं। कुंज्जू के बीज सिर्फ सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं बल्कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से जान भी जा सकती है। मिलावटी आटे के इस्तेमाल से पेट में कई तरह की तकलीफ हो सकती है, कब्ज बढ़ सकता है और लीवर भी प्रभावित हो सकता है। सिंघाड़ा और कुट्टू का शुद्ध आटा पीलापन लिए होता है, जबकि मिलावट वाला सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा सफेद होता है। खराब और मिलावटी आटा गूंथते समय लसलसा हो जाता है और उसमें से अजीब गंध आती है।







Organic गुड़ और A2 घी को मिलाकर खाने का फायदा

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हम...