हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं।
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आटे और मैदे में फाइबर, विटामिंस और न्यूट्रिएंट्स बहुत भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन मिलावटी आटे के इस्तेमाल से हमें ये फायदे नहीं मिल पाते और यह हमारे सेहत को जो नुसान होता है वह अलग। मिलावटखोर गेहूं के आटे में अक्सर चाक पाउडर, बोरिक पाउडर, खड़िया मिट्टी और मैदा मिलाते हैं।
आजकल गेहूं को पिसवाकर आटा बनाने के बजाय मार्केट से पैक्ड आटा लेना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन बाजार से लिए गए आटे में मिलावट होती है। तो जानिए कि कैसे करें आटे की शुद्ध की पहचान।
गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिए उसमें घटिया चावल का चूरा भी मिलाया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे आसान टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें आजमाकर आप खुद परख सकते हैं कि आटा शुद्ध है या मिलावटी।
शुद्ध आटे की पहचान उसको गूंधते और उसकी रोटी बनाते समय भी की जा सकती है। जब आप शुद्ध आटे को गूंधते हो तो वो बहुत नर्म होता है और उससे बनी रोटियां भी अच्छी तरह से फूलती है। मिलावटी आटे को गूंधने में असली आटे के बनिस्पत कम पानी की जरूरत होती है। मिलावटी आटे की रोटियां बेशक ज्यादा सफेद होती हैं, मगर उन में नेचुरल स्वीटनेस नहीं होती। आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है और बेलने पर रोटी नहीं फैलती, च्यूइंगम की तरह खिंचती हैं।
आटा/मैदा या सूजी में कुछ मिलावटखोर लोहे का बुरादा भी मिलाते हैं। इसे जांचने के लिए किसी कांच की प्लेट में थोड़ा सा आटा या मैदा लीजिए। इसपर एक चुम्बक घुमाइये। यदि आटा/मैदा शुद्ध होगा तो चुम्बक पर कुछ नहीं चिपकेगा, लेकिन यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो लोहे का बुरादा चुम्बक पर नजर आएगा।
हाइड्रोक्लोरिक एसिड से लगाएं मिलावट का पता
आटे में मिलावट को आप घर पर ही साइंटिफिक तरीके से भी चेक कर सकते हैं। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आपको मेडिकल स्टोर में मिल जाएगा। आटे की मिलावट जांचने के लिए आप एक टेस्ट-ट्यूब लीजिए और उसमें थोड़ा-सा आटा डालें। फिर इसमें थोड़ा-सा हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने पर अगर ट्यूब में कुछ छानने वाली चीज नजर आए तो समझ लें कि आटे में मिलावट की गई है।
पानी से जांचें मिलावट को
एक कांच के गिलास में आधा गिलास पानी भरें और इसमें एक चम्मच आटा डालें। यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो उसमें मिलाई गई चीजें भूसी, रेशे और चोकर पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगेंगे। इसका अर्थ यह है कि आटे में मिलावट है।
नींबू का रस
नींबू के रस की मदद से भी मिलावटी आटे की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बड़ा चम्मच आटा लेकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे डालें। अगर आटे में बुलबुले बने या हल्की झाग की तरह दिखे तो आटे में चॉक पाउडर या खड़िया मिट्टी की मिलावट की गई है। क्योंकि चॉक पाउडर और खड़िया मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट होता है जो नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड से मिलने के बाद झाग छोड़ता है, जिसके कारण बुलबुले बनते हैं।
सिंघाड़े और कुट्टू के आटा में मिलावट की पहचान
मुनाफे के लिए मिलावटखोर कुट्टू के आटे में अरारोट पाउडर, पिसा चावल, खरपतवार की बीज (कुंज्जू) या बाजरा को पीसकर मिला देते हैं। कुंज्जू के बीज न सिर्फ सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं बल्कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से जान भी जा सकती है। मिलावटी आटे के इस्तेमाल से पेट में कई तरह की तकलीफ हो सकती है, कब्ज बढ़ सकता है और लीवर भी प्रभावित हो सकता है। सिंघाड़ा और कुट्टू का शुद्ध आटा पीलापन लिए होता है, जबकि मिलावट वाला सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा सफेद होता है। खराब और मिलावटी आटा गूंथते समय लसलसा हो जाता है और उसमें से अजीब गंध आती है।
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