गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

सर्दियों में हरे साग खाने के फायदे Benefits of eating green greens in winter

देश के अलग – अलग हिस्सों में प्रसिद्ध हैं ये साग, क्या आपने भी चखा है इनका स्वाद ?

हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि हरे पत्तों में सबसे ज़्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं। हरे पत्तों वाले साग में आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और इन्हें खाने के कई फायदे भी हैं। पालक, मेथी, चौलाई, सरसों ऐसे साग हैं जिन्हें हम सर्दियों में अक्सर अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके अलावा भी कई साग या हरे पत्ते ऐसे होते हैं जिनका इस्तेमाल किसी बीमारी से निपटने या स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। देश के अलग - अलग हिस्सों में ये साग काफी प्रचलित हैं। हालांकि अब लोग इनका इस्तेमाल काफी कम करने लगे हैँ। अगर आप अपने रोज़ के खाने में कुछ ताज़ा स्वादों को शामिल करना चाह रहे हैं तो यहां हम आपको बता रहे हैं 12 स्वादिष्ट (और अत्यंत पौष्टिक) पत्तेदार सब्जियों या कुछ ऐसे पत्तों के बारे में जिनका लोग किसी तरीके से खाने में इस्तेमाल करते हैं... हो सकता है कि इनमें से कुछ के बारे में पढ़कर आपकी पुरानी यादें ताज़ा हो जाएं...

 1. सहजन का साग अगर पौधों में भी सुपरहीरो होते तो मोरिंगा (वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा से लिया गया) ज़रूर इनमें से एक होता। इसके पौधे के हर भाग को इस्तेमाल किया जा सकता है। पत्ते और नए फल खाने के तौर पर व बीज, फूल और जड़ औषधि के रूप में। सहजन के पत्ते पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। एक बार काटने और सूखाने के बावजूद भी इनमें प्रोटीन, सभी आवश्यक अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं। पुराने समय से भारत में मधुमेह, हृदय रोग, एनीमिया, गठिया, यकृत की बीमारी और श्वसन, त्वचा और पाचन विकार जैसे कई बीमारियों के लिए एक पारंपरिक उपाय के रूप में इस्तेमाल जाता था। 
2. कुल्फा का साग पर्सलेन जिसे कुल्फा, घोल या लुनी साग भी कहते हैं, गर्मियों में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विटामिन ए, बी, सी, प्रोटीन, ओमेगा - 3 फैटी एसिड पाया जाता है। बुखार उतारने, यूरिनरी इनफेक्शन को ख़त्म करने संबंधी बीमारियों में भी पहले से इसका इस्तेमाल किया जाता था। दुनिया भर के कई वनस्पति अध्ययन कुल्फा के साग पर किए गए हैं। जंगली भोजन के अमेरिकी विशेषज्ञ ईयूएल गिबन्स ने इसे 'दुनिया का भारत के लिए उपहार' कहा है।

3. अरबी का पत्ता अरबी या घुइंया तो लगभग हर भारतीय घर में खाई जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पत्ते भी काफी स्वादिष्ट होते हैं। साथ ही इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश सहित कई प्रदेशों में अरबी के पत्ते को बेसन में लपेटकर इसकी पकौड़ी बनती हैं।

4. इमली की पत्ती हममे में से ज़्यादातर लोगों को ये लगता है कि इमली के पत्ते तो बेकार होते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि स्वाद में खट्टे इमली के पत्तों में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इनमें फाइबर, पोटेशियम, आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है। दक्षिणी भारत के कई गाँवों में करी, चटनी और रसम बनाने में इमली के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। आंध्र प्रदेश में एक ख़ास तरह की चटनी जिसका नाम चिंटाचिगुरु पच्चड़ी होता है, इमली के पत्तों से ही बनती है। इसे इमली के पत्तों के साथ मूंगफली के दाने, लहसुन की कली, सूखी लाल मिर्च और जीरा को साथ पीसकर बनाया जाता है।



Ever Green Indian  Saag,


सरसों का साग

सरसों के साग में कैलोरी, फैट, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर, पोटेशियम, विटामिन ए, सी, डी, बी 12, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स की मौजूदगी के कारण न सिर्फ शरीर से विषैले पदार्थो को दूर करते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। सरसों के साग में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण पाचन क्रिया दुरूस्‍त रहती है, इसके सेवन से कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर कम होता है और दिल के रोगों की आंशका भी कम हो जाती है।

पालक के लाभ

आमतौर पर पालक को केवल हिमोग्‍लोबिन बढ़ाने वाली स‍ब्‍जी माना जाता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी बहुत से गुण विद्यमान है। पालक में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर और खनिज लवण होता हैं। साथ ही पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।

पालक के नुकसान

पालक का अत्यधिक उपयोग से पेट में गैस, सूजन, दर्द और यहां तक कि कब्ज जैसे पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।

थी का साग

सर्दी का मौसम आते ही सब्‍जी बाजार में मेथी खूब दिखने लगती है। मेथी में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, नियासिन, पोटेशियम, आयरन मौजूद होता हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर आदि भी मिलते हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं। पेट ठीक रहे तो स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और खूबसूरती भी बनी रहती है। मेथी पेट के लिए काफी अच्छी होती है। साथ ही यह हाई बीपी, डायबिटीज, अपच आदि बीमारियों में मेथी का उपयोग लाभकारी होता है।

चौलाई का साग

हरे पत्तेदार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी मानी जाती हैं। हरी पत्तेदार सब्जी में चौलाई का मुख्य स्थान है। चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनिरल और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। चौलाई के इन हरे पत्ते की सब्जियों को रोजाना खाने से शरीर में होने वाले विटामिन की कमी को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। पेट और कब्ज के लिए चौलाई का साग बहुत उत्तम माना जाता है। चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं।

बथुआ का साग

बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें बहुत सा विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है। बथुआ हरा शाक है जो नाइट्रोजन युक्त मिट्टी में फलता-फूलता है। सदियों से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने में होता रहा है। इसके साग को नियमित खाने से कई रोगों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इससे गुर्दे में पथरी होने का खतरा काफी कम हो जाता है। गैस, पेट में दर्द और कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है।

बथुआ के नुकसान

बथुआ का अधिक सेवन से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है।

चने का साग

आपने सरसों का साग तो खाया होगा लेकिन क्या आपने कभी चने का साग भी खाया है? बाजार में चने का साग बहुत अधिक मात्रा में उपलब्‍ध है। सर्दियों की रात में खाने में चने के साग के साथ मक्का या बाजरे की रोटी का स्वाद सिर्फ खाकर ही लिया जा सकता है। चने का साग खाने में पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। चने के साग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, फाइबर, कैल्शियम, आयरन व विटामिन पाये जाते हैं। यह कब्ज, डायबिटिज, पीलिया आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। चने का साग हमारे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति करता है इसलिए इसे प्रोटीन का राजा भी कहा जाता है।

गर्म पानी में डुबोने के बाद खाएं

केमिकल युक्त सब्जियों के सेवन से लीवर, गुर्दा को सीधे नुकसान पहुंचता है। केमिकल युक्त रंग में हैवी मेटल होने से किडनी खराब हो जाती है। नाला के पानी से उपजी सब्जी के खाने से खून के माध्यम से छोटे जीवाणु या जीवाणु का अंडा दिमाग में पहुंच जाते हैं। जिससे दिमाग का दौरा पड़ना शुरू हो जाता है। इसके कारण दिमागी बुखार, मिर्गी जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

लहसुन

 लहसुन का प्रभाव गर्म होता है, इसलिए यदि आप सर्दियों के दौरान हर दिन लहसुन लेते हैं, तो यह आपके शरीर को अंदर से गर्म रखेगा और बीमारियों को भी रोकेगा। सर्दियों में, अगर आप रात को सोने से पहले लहसुन की चटनी खाते हैं, तो आपको कई फायदे दिखाई दे सकते हैं।












मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

Immunity booster Food's



इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएँ और ऑर्गेनिक फूड खाएं।

इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए सबसे पहले आप स्वस्थ जीवनशैली को चुने। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कुछ सामान्य स्वास्थ्य-संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना ज़रूरी है। प्रतिरोधक क्षमता के साथ साथ आपके शरीर के हर हिस्से भी इन सुझावों की मदद से बेहद तरीके से कार्य करना शुरू कर देंगे।

सुझाव इस प्रकार हैं जैसे -
धूम्रपान न करें।
पोषित ऑर्गेनिक सब्ज़ियां, फल, साबूत अनाज और कम संतृप्त वसा वाला आहार खाएं।
रोज़ाना व्यायाम करें।
अपने वजन को संतुलित रखें।
अपने ब्लड प्रेशर को सामान्य रखें।
अगर आप शराब पीते हैं तो उसका सेवन कम से कम करें।
पूर्ण तरीके से नींद लें।
खाना खाने से पहले अपने हाथों ज़रूर धोएं।
खाना बनाने से पहले सब्ज़ियों को अच्छी तरह से धो लें जिससे कि आपको किसी भी तरह का संक्रमण न हों।
नियमित रूप से अपनी चिकित्सीय जांच ज़रूर करवाएं।

 पोषक तत्वों को भोजन में शामिल कर के बढ़ाये अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता 
हमारे भोजन में शामिल कुछ पोषक तत्वों से इम्यून सिस्टम को सुधारा जा सकता है। 

विटामिन A & E- विटामिन A एवं विटामिन E एक प्रकार के शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो इंफ्लमैशन (सूजन) को रोकते है साथ शरीर में रोगों से लड़ने वाले कोशिकाओं को बढ़ाते है।

विटामिन A के लिए इन भोज्य पदार्थों का सेवन करें-

सब्जियाँ जैसे- ऑर्गेनिक गाजर, पीले व लाल शिमला मिर्च, कद्दू, शकरकंद 
फल जैसे- आम, खुबानी, संतरा, पपीता, खरबूजा, चकोतरा
डेयरी उत्पाद जैसे- दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे पनीर, दही आदि
विटामिन E- 

खुबानी, कीवी, बादाम, मूंगफली, हेज़लनट्स, चिलगोज़े (पाइन नट्स), जैतून, सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज
वनस्पति तेल जैसे ऑर्गेनिक गेहूं के बीज का तेल, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन का तेल, बादाम का तेल 
ऑर्गेनिक सरसो एवं शलगम का साग, ब्रोकोली, कद्दू
विटामिन C- विटामिन सी में एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं जो फ्री रेडिकल्स के कारण शरीर को होने वाले क्षति एवं संक्रमण से भी बचाते हैं । विटामिन सी युक्त भोज्य पदार्थ हैं-

फल जैसे- नींबू, संतरा, अंगूर, पपीता, स्ट्रॉबेरी, आंवला 
सब्जियां जैसे- ब्रोकोली, हरी मिर्च, लाल व पीली शिमला मिर्च, टमाटर
विटामिन D - कई रिसर्च से पता चला है कि विटामिन डी वायरल संक्रमण एवं श्वांस सम्बन्धी संक्रमण को रोकने में लाभदायक साबित होता हैं ।इसके लिए इनका सेवन करें-

ऑर्गेनिक मशरूम
विटामिन डी फोर्टिफिकेशन वाले भोज्य पदार्थ  
सूर्य की रौशनी में बैठें 
आयरन (लौह तत्व)- आयरन की कमी से इम्यूनोकोम्प्रोमाइज़ की स्थिति आ जाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है। अतः अपने भोजन में आयरन ( लौह तत्व) की मात्रा भरपूर रखें । इसके लिए इन भोज्य पदार्थों का सेवन करें-

कम वसा वाला मांस या चिकन, 
पालक, ब्रोकोली, सलाद पत्ता 
साबुत अनाज, सेम, मटर, अंकुरित फलियां
गुड़, खजूर
खाना पकाने के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग करें
सेलेनियम- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से प्रभाव एवं शरीर को रोगो के संक्रमण से बचाते हैं। इनके लिए ये भोज्य पदार्थों का सेवन करें-  

टूना मछली , झींगा, चिकन
केले
चावल, पुरे ऑर्गेनिक गेहूं की बनी रोटी या ब्रेड मशरूम
चिया सीड्स 
ज़िंक- ये श्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है, जो संक्रमण से बचाव करतें है। इनके लिए खाएं-

सीफ़ूड जैसे केकड़ा, सीप और झींगा मछली
लाल मांस, चिकेन और अंडा
दूध व दूध से बने पदार्थ
छोले व अन्य फलियां
नट्स एवं बीज जैसे- बादाम, मूंगफली, चिलगोज़े ( पाइन नट), तिल के बीज, कद्दू के बीज
प्रोबायोटिक- प्रोबायोटिक्स यानि गट बैक्टीरिया, ये वो बैक्टेरिया हैं जो पाचन तंत्र को उत्तम बनाए रखने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते है। प्रोबायोटिक्स के लिए आप इनका सेवन करें-

डेयरी आधारित उत्पाद- दूध, पनीर, दही, दूध पाउडर, छाछ, याकुल्ट, काफिर
सोया दूध और उसके उत्पाद
किमची, प्रोबायोटिक्स से युक्त अनाज और नुट्रिशन बार 
ओमेगा ३- ये प्रोबायोटिक्स के कार्य को प्रभावी बनाते है, जिससे हमारा पेट स्वस्थ रहे एवं इम्यून सिस्टम मजबूत बन सके। इसके लिए-

मछली का तेल
चिया सीड्स, अलसी के बीज और अखरोट 
अलसी का तेल और सोयाबीन का तेल
ओमेगा ३ फोटिफाइड किये अनाज, जूस, दूध और सोया पेय
लहसुन हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है। लहसुन एंटी-ऑक्सीडेंट (anti-oxidant) से भरपूर तत्व है जो हमारे शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। इसके अलावा लहसुन में एल्सिन (allicin) नामक एक ऐसा तत्व होता है जो की शरीर को होने वाले कई प्रकार के संक्रमण और बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति देता है। लहसुन का इस्तेमाल करने से अल्सर और कैंसर जैसे रोगों से बचाव होता है
प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर भोजन है अलसी - Flaxseed For Immune System In Hindi
अलसी हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा इम्युनिटी बूस्टर है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए इसमें बहुत से गुण होते हैं।आलसी का नियमित सेवन करने से शरीर को कई प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। अलसी में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (alpha-linolenic acid), ओमेगा-3 (omega-3) और फैटी एसिड (fatty acid) होता है जो की हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करे ग्रीन टी - Green Tea For Immunity In Hindi
ग्रीन टी एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है इसलिए इसका प्रयोग शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाने, वजन और मोटापे को कम करने में किया जाता है। इसमें पॉलीफेनोल उपस्थित होता है जो शरीर को रोगो से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है साथ ही इंफ्लमैशन को भी कम करता है। इसके साथ ही ये पाचन क्रिया एवं मस्तिष्क को भी ठीक कार्य करने में मदद करता है।
प्रतिरोधक क्षमता के लिए व्यायाम है कितना ज़रूरी - Exercise for immune system In Hindi
स्वस्थ जीवनशैली के लिए व्यायाम बहुत ज़रूरी है। यह हृदय, ब्लड प्रेशर, शरीर के वजन और विभिन्न प्रकार के बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। लेकिन क्या यह आपकी प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाने में लाभकारी है? तो हम आपको बता दें जैसे आहार हमारे स्वास्थ्य में योगदान देता है वैसे ही व्यायाम भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में मदद करता है। व्यायाम स्ट्रेस हॉर्मोस, कोर्टिसोल के स्तर को कम करने में मदद करता है, जो शरीर में ज्यादा होने पर इम्यून सिस्टम को कम करने लगता है। रोजाना व्यायाम कर के इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है, इसके लिए- 

30 मिनट की तेज पैदल चाल या दौड़
साइकिल चलाना या ट्रेकिंग करना
बच्चों या पालतू जानवरों के साथ खेलना
एरोबिक्स या ज़ुम्बा
नृत्य
योग
तनाव से प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है प्रभाव - S
तनाव से दूर रहें- जैसा हमने अभी पढ़ा की तनाव के कारण जो होर्मोंस स्रावित होते हैं, वो इम्यून सिस्टम को कम करने का काम करते है। इसको रोकने के लिए रोजाना योग एवं ध्यान करें। ७-८ घंटे की अच्छी नींद लें । किताबें पढ़ें, दोस्तों से-परिवार में बात करें। ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें

रविवार, 25 अक्तूबर 2020

जानिए आंवला खाने के फायदे

आंवला के फायदे बहुत सारे होते हैं। आंवला, डॉक्टर की दवाई की तरह होता है, जो कड़वी जरूर होती है, लेकिन बीमारी को ठीक करने में कारगार होती है। ऐसे ही आंवला होता है जो स्वाद से कसैला होता है लेकिन बुढ़ापा दूर रखने, स्मरण शक्ति बढ़ाने समेत कई सारी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में संजीवनी का काम करता है। इसलिए आज हम आपको आंवला के फायदे और खाने का सही तरीका बता रहे हैं। आइये जानते हैं आंवला खाने के फायदे..

आंवला के फायदे 1 विटामिन सी से भरपूर फल -

आंवला हमेशा सर्दी और फ्लू के इलाज के लिए एक शक्तिशाली घरेलू उपाय के रूप 
में लोकप्रिय रहा है। यह विटामिन सी में समृद्ध है, जो शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) के उत्पादन को
बढ़ाता है जो कई संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही, आंवला आयरन, कैल्शियम और कई अन्य खनिजों में भी समृद्ध है, जो इसे एक संपूर्ण पोषण फल बनाते हैं।

आंवले में एंटी बैक्टीरियल और एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होने की वजह से मुंह के छालों में आंवले का सेवन करना फायदेमंद होता है। आंवले का कैंडी, सब्जी या मुरब्बे के रूप में सेवन करें। 


आंवला के फायदे 2 आंवलें में विटामिन सी,फैटी एसिड, एंटी बैक्टीरियल और एंटी ऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे बालों का सभी समस्याएं यानि बालों की सफेदी, रूसी, बालों की एलर्जी, बालों का झड़ना आदि से राहत मिलती है और बाल लंबे, घने, काले बनते हैं। बालों को काला करने के लिए सूखे आंवले को भिगोकर पेस्ट बनाकर बालों में लगाएं। जबकि रूसी और बालों को झड़ने से रोकने के लिए नियमित रूप से आंवले का सेवन करें।आंवला के फायदे 3

आंवला के फायदे 3 रात में आंवले के चूर्ण का गर्म दूध से सेवन करने और आंवला-शहद को एक साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके साथ ही आंखों से जुड़ी रतौंधी, मोतियाबिंद जैसी बीमारी में लाभ होता है।

आंवला के फायदे 4 आंवला में मौजूद औषधीय तत्व शरीर के बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करके रक्तचाप
सामान्य रखने में मदद करता है, जबकि आंवले का कसैला स्वाद शरीर के ब्लड शुगर को बैलेंस करने का काम करता है। डायबिटीज पेशेंट के लिए कच्चा आंवला खाना सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है।






शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

काला गेहूं सेहत के लिए फायदेमंद

काले गेहूं ,

सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह आपके सेहत के लिए बहुत लाभदायक है.

, एक साबुत अनाज की जगह एक तरह के बीज होते हैं जिनका भोजन के रूप में सेवन किया जाता है। इनकी खासियत ये है कि ये अन्य अनाज की तरह घास पर नहीं उगते हैं। ये अन्य सामान्य छद्मकोशिकाओं वाले अनाज क्विनोआ और ऐमारैंथ के समूह में शामिल हैं।

 कैंसर : (Black Wheat Benefits for Cancer Patients) कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका अभी तक कोई स्थाई ईलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है, इस समय पर काला गेहू उन सभी लोगों के लिए खाद्य खुराक के रूप में बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है जब इस रोग पर नियंत्रण पाने में अन्य सभी दवाएं विफल हो चुकी हैं।

मधुमेह या डायबीटीज: (Black Wheat Benefits for Diabetes Patients)  यह एक ऐसा अन्य रोग है जो दुनिया के सभी प्रगतिशील देशो के साथ भारत व अन्य देशों में अपने पाव पसार चुका हैऔर विडबना यह है कि बहुत सी महंगी दवायों के बावजुद अभी तक इसका स्थायी ईलाज उपलब्ध नहीं हैयहाँ भी रिसर्च में काले गेहूँ प्रयोग के पीड़ित इन्सान पर सकारात्मक परिणाम सामने आयें हैं।

हृद्य रोग: (Black Wheat Benefits for Heart) हृदय संबधी अधिक मात्रा में बड रहे रोग आज की हमारी जीवन शैली का ही परिणाम हैंमॉडर्न जिन्दगी के नाम पर हम अपने स्वस्थ शरीर रूपी पूंजी को खोते जा रहे है। इसान महंगे ईलाज से अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने का संघर्ष कर रहा है जो कि बहुत खर्च के बावजुद स्वस्थ जीवन की गारंटी नहीं देता। हृदय रोगियों पर किये शोध में काले गेहू के मामले में बहुत सार्थक परिणाम सामने आयें हैं।

काला या ब्लैक व्हीट गेहूं का व्यावसायिक उत्पादन

वैसे तो ट्रायल के दौरान इसका पहले ही 850 क्विंटल उत्पादन किया जा चुका हैतथा वर्तमान में हरियाणा के एक कस्बे डबवाली के गाँव मौजगढ़ में इसकी पैदावार की जा रही है। एक हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार NABI की तरफ़ से यहाँ के किसानों को इसका बीज (Black Wheat Seed) उपलब्ध करवाया गया जिससे आगे करीब 80 एकड़ में फ़सल ली जा रही है। ध्यान देने योग्य बात है कि एक अनुमान के अनुसार इस पर करीब 15 से 18 क्विंटल फ़सल का झाड़ मिलने की संभावना हैयह सब तभी  संभव हो पाया यहाँ की डबवाली किसान उत्पादक कंपनी के सहयोग से वर्तमान के चेयरमैन जसवीर सिंह भाटी है।

सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

पैक्ड फूड क्यों खतरनाक?? Why packed food is harmful??


पैक्ड फूड क्यों खतरनाक??
      Why packed food is harmful??




 दोस्तों आजकल फ़ास्ट फ़ूड मार्केट में बहुत ज्यादा बिकते हैं। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम भोजन को रेडी ही खरीद कर खाना चाहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इस तरह से रेडी भोजन को खरीद कर खाने से हमारे शरीर को क्या क्या प्रॉब्लम हो सकती है??। जी नहीं शायद आपको यह नहीं पता है,चलिए दोस्तों मैं आपको आज बताता हूं कि आखिर में यह पैक फ़ूड  होते क्या है और यह फ़ूड तैयार कैसे किए जाते हैं,और हमारे बॉडी को क्या क्या नुकसान हो सकते हैं । 
खाने पीने की चीजों को किसी डब्बे में बंद करके एक लंबे समय के लिए बेचने के लिए मार्केट में उतारते हैं ।
basically packed food marketing business jo hai yah 3 main point per focus Karta hai 1 quality 2 quantity 3 test.
जब हम बात करते हैं क्वांटिटी की उस केटेगरी में हम फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए उनकी क्वांटिटी बढ़ाने के लिए हम एक लार्ज स्केल पर फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो अगेंस्ट द नेचर जाकर के फूड की प्रोडक्शन को बढ़ाता है ।
 क्वालिटी में देखने में चीजें साफ सुथरी हो शुद्ध हो देखने में सिर्फ!! खाने में नहीं, इस तरह की चीजों को मेंटेन करने के लिए हम अनाज में खतरनाक फर्टिलाइजर्स और केमिकल के पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करते हैं ताकि अनाज के दाने साफ सुथरे सोलीड लगे और वह लंबे समय तक टिके रहें।

तीसरा 
टेस्ट के लिए,   कम्पनियां बहुत खतरनाक तरीके के केमिकल्स का इस्तेमाल करती हैं प्रयोगशालाओं में आज फल सब्जियां अनाज आदि हर चीज का स्वाद बढ़ाने के लिए एक फ्लेवर तैयार कर लिया गया है। जिन फ्लेवर्ड को हमारे खाद्य पदार्थों में मिला करके हमें खिलाया जाता है परिणाम स्वरूप हम उन जहरीले विशअक्त खाद्य पदार्थों में टेस्ट भी पाए जाते हैं क्वांटिटी भी मिल जाती है लाखों-करोड़ों लोगों को खिला दिया जाता है ।और क्वालिटी देखने में आटा चावल दाल बर्गर पिज़्ज़ा जो भी आइटम है वह अच्छे भी लगते हैं और टेस्ट में जो हम खाते हैं तो हमें बहुत ज्यादा टेस्टी लगता है, और तो और हम उसके एडिकट हो जाते हैं, लेकिन क्या आपने देखा कि आखिर में इन सब चीजों के इस्तेमाल से हमारी बॉडी में क्या होता है?? है बॉडी को तो कुदरत ने इस तरीके से बनाया है जिसके अंदर में प्राकृतिक खाद्य पदार्थ जा सकते हैं उसमें केमिकल मिलाकर खिलाते हैं तो हमारे बॉडी के हारमोंस अलग तरह से रिएक्ट करते है। और अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। हम धीरे-धीरे किसी न किसी बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं।

 दोस्तों आज की डेट में आप देख सकते हैं शुगर बीपी थायराइड मोटापा खून की कमी बालों का झड़ना आंखों से कम दिखाई देना दांत कमजोर होना आदि बीमारियां शरीर के अंगों को इस तरह से खराब कर देते हैं कि इन्सान कमज़ोर और लाचार हो जाता है।

 क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कैसे आज से कम तकनीकी ज्ञान के बावजूद भी हमारे पूर्वजों की जिंदगी 90 से 100 साल की हुआ करती थी ?
 प्राचीन काल के टाइम में जो हमारे पूर्वज थे ओ शुद्ध जैवीक भोजन करते थे और प्राक्रतिक तरीके से जीते थे। आज हम इतने सारे केमिकली चीजों को हम अपनी बॉडी में डाल लेते हैं परीणाम स्वरूप हम जल्द बूढ़े और कमजोर हो जाते हैं।
 इसलिए इन चीजों का सबसे बेहतर उपाय है कि यदि आप चाहते हैं कि मानसिक तौर पर मजबूत रहें और आपका बच्चा आपका परिवार आफ फिजिकली मजबूत रहें और निरोग रहे आपको जैविक पदार्थों का इस्तेमाल करना पड़ेगा जैविक की जिंदगी जीनी पड़ेगी आपको इन खतरनाक केमिकल और रसायनों से दूर रहने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा अन्यथा आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम कितने भी बड़े मुकाम पर पहुंचकर कितना ही सारा संपत्ति और पैसा क्यों न कमा लें लेकिन वह हमारे किसी काम का नहीं होगा क्योंकि हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो दुनिया की सारी दौलत हमारे किसी काम की नहीं होगी। स्वस्थ रहने के लिए निरोग रहने के लिए हमें अपने पूर्वजों के इतिहास को पढ़ना होगा आखिर हमारे पूर्वज किस तरह से प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर के जीते थे। और वह मन बुद्धि और विद्या से मजबूत हुआ करते थे। और खुशहाल जिंदगी जी करके अपनी जिंदगी को समाप्त करते थे ।
उसका एक ही रीजन है उनके थाली में जो भोजन हुआ करता था वह प्राकृतिक हुआ करता था वह शुद्ध हुआ करता था वह प्रकृति के द्वारा बनाए गए आहार चक्रण के अनुसार हुआ करता था जो उनको स्वस्थ रखता था मजबूत रखता था और दिमाग की तौर पर बहुत मजबूत रखता था ।इन सब तरीकों को आज भी हम पा सकते हैं जब जब हम प्राकृतिक तरीके से भोजन करना शुरू कर देंगे आइए दोस्तों आज हम प्रण करे की आज से हम आर्गेनिक भोजन ही करेंगे।




सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

डिप्रेशन से कैसे बचें


डिप्रेशन से बचने के तरीके,

दोस्तों नमस्कार मैं आपको यहां पर बताना चाहता हूं कि डिप्रेशन से बचने के क्या तरीके हो सकते है। दोस्तों जैसा कि हम लोग जानते हैं कि हम लोगों की आम जिंदगी में बहुत सारी मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं।उदाहरण के तौर पर अपना पर्सनल कंप्यूटर। इस्तेमाल करते हैं हम उसमें बहुत सारी अपनी एक्टिविटीज करते हैं ऐसे वीडियो देखते हैं सॉन्ग सुनते हैं ऑफिशियल काम करते हैं ऑफिस वर्क सॉफ्टवेयर चलाते हैं । और हम उस पर हर तरह के प्रोग्राम का इस्तेमाल करते हैं, होता क्या है इससे हमारा कंप्यूटर स्लो हो जाता है। हम उसकी स्पीड बढ़ाने के लिए हम उसकी जंक फाइल को डीलीट करते हैं कई बार हम एंटीवायरस चलाते हैं,जिससे कि जंक फाइल डिलीट हो जाए दोस्तों यही हाल यही सेम प्रोसीजर हमारी जिंदगी रूपी मशीन के साथ है। यानी शरीर के साथ है। हमारा शरीर अलग अलग तरीके के मशीन के मिक्सअप से बना है। जो समय-समय पर हम अपने शरीर की इन मशीनों का यूज करते रहते हैं। ऑफिस में काम करते है।जब इन सब प्रक्रियाओं से हमारी शरीर गुजरती है तो हमारी शरीर के अंदर डिप्रेशन नाम की एक बीमारी स्वता पैदा हो जाती है । यह डिप्रेशन हर इंसान में अलग अलग तरीके से दिखता है किसी को डिप्रेशन थकान के रूप में आता है, किसी को डिप्रेशन सर दर्द काम में मन न लगना या फिर बॉडी पेन या फिर नींद न आना आदि जैसे कई अलग-अलग प्रारूप में शरीर के अंदर आता है।लेकिन हम इस डिप्रेशन को बहुत हल्के में लेते हैं या यू कहे हैं कि हम उसका भड़ास अपनी दैनिक दिनचर्या वाले कार्यों पर निकाल देते हैं। और हम वहां तो गुस्सा करके हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करके हम अपने डिप्रेशन को ही सही करने की कोशिश करते हैं ।क्या यह सही है? जी नहीं बिल्कुल नहीं । इसका हल भारतीय संस्कृति के बताए हुए नियमों को फॉलो कर ने से मिलेगा। डिप्रेशन से बचने के लिए हमें सबसे पहले व्यायाम करना चाहिए हम अगर ऐसे दिनचर्या में है जहां से बार-बार डिप्रेस्ड महसूस कर रहे हैं या हम साधारण भाषा में बोले या बार-बार थकावट महसूस करते हैं, सर में दर्द महसूस करते हैं नींद न आना बेचैनी आदि समस्याओं के रूप में पीड़ित हो। अगर आप बार बार कहते हैं कि हमे कुछ नहीं हुआ है हम अच्छे हैं, दरअसल आप ये नहीं बोल रहे है। ये आपका तनाव युक्त चेहरा आपका सब कुछ बयां कर रहा है। 



 इस से बचने की सबसे अच्छा उपाय है कि हम अपनी बॉडी को एक रूटीन आधार पर एक्सरसाइज करें। जैसे कि अर्ली मॉर्निंग में सुबह 6:00 से 6:30 तक उठ जाय,और मॉर्निंग वॉक करें।अगर हो सके तो हरी घास पर नंगे पांव चले तो बहुत अच्छा होगा यादि ऐसा संभव हो,अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आपको सू पहनकर के नार्मल ऐसी एरिया में मॉर्निंग वॉक करना चाहिए घंटा दो घंटा जो कम से कम ज्यादा पीसफुल और पेड़-पौधों से भरा एरिया हो। फास्ट फूड से बचें कोशिश करें और सबसे बेहतर है कि घर का खाना खाएं। जो भोज पदार्थ हमारी लाइफस्टाइल को मजबूत करते हैं और हमारे डिप्रेशन को हटाने मे मदद करते हैं कोशिश करें कम से कम रासायनिक खाद, कीटनाशक से उगी हुई सब्जियां अनाज ही खाए। फल फ्रूट खाएं। जैविक भोज्य पदार्थों के सेवन से आप आश्चर्यजनक तीरेके से ठीक हो सकते है। 

Organic food केवल हमको बीमार ही नही होने दे ते अपितु हमारी जिंदगी की साइकिल को भी बढ़ाते है।





रविवार, 4 अक्तूबर 2020

क्या हम सही खाना खा रहें है?

आजकल की इस भागदौड़ भरी लोगों की जिंदगी में बाजारवाद हावी हो चुका है।
हम मानसिक तौर पर अपने आप को कितना भी विकसित समझने का प्रयास करें, लेकिन तबतक हम विकसित और योग्य नहीं कहलाएंगे जब तक हम प्राकृतिक तौर पर जीना नहीं सीख जायेंगे।
रसायन युक्ता खाना कीेट नाशक  और उर्वरक से पैदा की गई अनाज व सब्जियां हमारे जीवन में बीमारियो का पिटारा लती रहती है।
इको बलैंस को खराब करके हम अपनी प्रकृति को चुनौती दे रहे है।
आज बहुद्देशीय बाजारवाद खेती का बंटाधार कर रखा है।।

हम नहीं समझ पाते आखिर किसान 6 महीने से मेहनत करके अनेक आकस्मिक आपदाओं से बचते  बचाते हमारे लिए अनाज सब्जियां पैदा करके  देता है। लेकिन उसके फसल का दाम उनके मेहनत और लागत को भी नहीं पूरा कर पाता।
लेकिन आखिर कैसे वहीं गेहूं जो किसान ₹16/kg में  बेचता है। वो गेहूं  मिल से पीस कर चमकीले पैकेट में पैक होकर ₹35/kg कैसे बिक जाता है।??
आखिर  डबल का अंतर कैसे पैदा होगया!!.
जबकि ये कम्पनियां हमको खतरनाक chemical प्रिजर्वेटिव मिलाकर हमको खिलाती है ।
फिर भी हम वहीं  जहर दोगुनी कीमत पर  खरीदते भी है और हम खाते भी है।
आखिर क्यों?????.
क्यूकी हम को बाजारवाद और ग्लैमर वाद ने इस तरह  ब्रेन वाश  किया पीछले कई सालो से, कि हम अपने स्वास्थ्य को भूल कर अपनी भारतीय आयुर्वेदिक जीवन पद्वति को भूलकर प्रोपेगेंडा के शिकार हो गए।।

जीवनभर  खरनाक कैमिकल की दवाइयां न खानी पड़े आपको , इसलिए आप अपने खानेपीने की वस्तुओं को जांच परख कर इस्तेमाल करें और निरोग जीवन जिए।

आप हमारे  blog  रूरल ऑर्गेनिक से जुड़े  और  मुफ्त में जानकारी  प्राप्त करें।।

पता है 
ruralorganicsindia@gmail.com.
Whatsapp-8076474025.
 आप उत्तम आहार स्वास्थ्य आहार की जानकारी के लिए हमसे उरोक्त किसी भी माध्यम से जुड़ सकते है।

धन्यवाद।



शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

Rural organic


हम कौन है!.क्या है हमारा मकसद!

नमस्कर दोस्तो,

हम Rural organic एक ऑर्गेनिक  अनाज उत्पादक
और बिक्री करता समूह हैं। हम भारत के कोने कोने से कई किसानों को संगठित करके। जैविक खेती  करते है।
हम अपने उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने का लक्ष्य रखते है। जिससे भारत में  किसान कि हालात में सुधार हो और उनके आमदनी में इजाफा हो, साथ में अन्य लोग जो आजकल शहरी आबादी में निवास करते है। जो हानिकारक कैमिकल और उर्वरक से उत्पन्न अनाज को खाकर अपनी जान गंवा रहे है। इनको बचाया जा सके।

हमारा प्रयास  है कि हम जैविक उत्पाद हर भारतीय की थाली तक पहुंचा सके। जिससे उनके जीवन में स्वास्थ्य खुशी  बनी रहे।


आप हमारे उत्पाद की ज्यादा जानकारी के लिए हमें  कॉल कर 
 सकते है  Call-+91 8076474025
या ईमेल करें-ruralorganicsindia@gmail.com.









Organic गुड़ और A2 घी को मिलाकर खाने का फायदा

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हम...