काले गेहूं ,
सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह आपके सेहत के लिए बहुत लाभदायक है.
, एक साबुत अनाज की जगह एक तरह के बीज होते हैं जिनका भोजन के रूप में सेवन किया जाता है। इनकी खासियत ये है कि ये अन्य अनाज की तरह घास पर नहीं उगते हैं। ये अन्य सामान्य छद्मकोशिकाओं वाले अनाज क्विनोआ और ऐमारैंथ के समूह में शामिल हैं।
कैंसर : (Black Wheat Benefits for Cancer Patients) कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका अभी तक कोई स्थाई ईलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है, इस समय पर काला गेहू उन सभी लोगों के लिए खाद्य खुराक के रूप में बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है जब इस रोग पर नियंत्रण पाने में अन्य सभी दवाएं विफल हो चुकी हैं।
मधुमेह या डायबीटीज: (Black Wheat Benefits for Diabetes Patients) यह एक ऐसा अन्य रोग है जो दुनिया के सभी प्रगतिशील देशो के साथ भारत व अन्य देशों में अपने पाव पसार चुका है, और विडबना यह है कि बहुत सी महंगी दवायों के बावजुद अभी तक इसका स्थायी ईलाज उपलब्ध नहीं है, यहाँ भी रिसर्च में काले गेहूँ प्रयोग के पीड़ित इन्सान पर सकारात्मक परिणाम सामने आयें हैं।
हृद्य रोग: (Black Wheat Benefits for Heart) हृदय संबधी अधिक मात्रा में बड रहे रोग आज की हमारी जीवन शैली का ही परिणाम हैं, मॉडर्न जिन्दगी के नाम पर हम अपने स्वस्थ शरीर रूपी पूंजी को खोते जा रहे है। इसान महंगे ईलाज से अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने का संघर्ष कर रहा है जो कि बहुत खर्च के बावजुद स्वस्थ जीवन की गारंटी नहीं देता। हृदय रोगियों पर किये शोध में काले गेहू के मामले में बहुत सार्थक परिणाम सामने आयें हैं।
काला या ब्लैक व्हीट गेहूं का व्यावसायिक उत्पादन
वैसे तो ट्रायल के दौरान इसका पहले ही 850 क्विंटल उत्पादन किया जा चुका है, तथा वर्तमान में हरियाणा के एक कस्बे डबवाली के गाँव मौजगढ़ में इसकी पैदावार की जा रही है। एक हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार NABI की तरफ़ से यहाँ के किसानों को इसका बीज (Black Wheat Seed) उपलब्ध करवाया गया जिससे आगे करीब 80 एकड़ में फ़सल ली जा रही है। ध्यान देने योग्य बात है कि एक अनुमान के अनुसार इस पर करीब 15 से 18 क्विंटल फ़सल का झाड़ मिलने की संभावना है, यह सब तभी संभव हो पाया यहाँ की डबवाली किसान उत्पादक कंपनी के सहयोग से वर्तमान के चेयरमैन जसवीर सिंह भाटी है।
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