सोमवार, 1 मार्च 2021

Organic गुड़ और A2 घी को मिलाकर खाने का फायदा

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य"


ORGANIC गुड़ और A2घी 

गुड़ का स्वाद खाने में बहुत ही मीठा होता है, इसके इस्तेमाल से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते है, पर क्या आपको पता है की गुड़ का सेवन हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। वैसे तो गुड़ हमारी सेहत को हमेशा ही लाभ पहुंचता है पर इसके फायदे दोगुने हो जाते है अगर आप इसका सेवन रात में सोने से पहले करते है।

गुड़ के फायदे:

# अगर कमजोरी महसूस हो रहा है तो रात को सोने से पहले गुड़ का सेवन कीजिए, रात में सोने से पहले गुड़ खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है जिसके कारण थकान और कमज़ोरी दूर हो जाती है।

# रात में सोने से पहले गुड़ का सेवन करने से हमारे शरीर में मौजूद हानिकारक टोक्सिंस को बाहर निकल जाते है जिससे स्किन की सफाई होती है।

# नियमित रूप से रात को सोने से पहले गुड़ का सेवन करने से शरीर में खून की सफाई हो जाती है जिससे मेटाबोलिज्म लेवल स्ट्रांग होता है।

# अगर आपके गले या फेफड़ो में इन्फेक्शन हो गया है तो रोज़ाना रात में सोने से पहले गुड़ का सेवन करे, ऐसा करने से आपका इन्फेक्शन ठीक हो जायेगा।

# अगर आपके कान में दर्द है तो इससे आराम पाने के लिए रात में सोने से पहले गुड़ को घी के साथ मिलाकर खाये, ऐसा करने से कान में होने वाले दर्द की समस्या से निजात मिलती है।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

जाने आर्गेनिक अलसी खाने के ये फायदे Know these benefits of eating organic flaxseed

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य,


अलसी के बीज के फायदे पुरुषों व महिलाओं के लिए – (Flax seeds) अलसी पुरुषों की सेक्स समस्या ठीक करने और औरतों में हार्मोनल बैलन्स लाने का काम करता है। अलसी का सेवन मोटापा कम करता है और बाल, स्किन, आँखें, नाखून स्वस्थ होते हैं। अलसी खाना कई रोगों में फायदेमंद है।
अलसी के बीज में प्रोटीन, आयरन, कैल्सियम, विटामिन C, विटामिन E, विटामिन बी काम्प्लेक्स, जिंक, फाइबर, कॉपर, सेलेनियम, कैरोटीन, पोटैशियम, फोस्फोरस, मैगनिशियम, मैगनीस तत्व पाए जाते हैं। अलसी के बीज को English में Flax Seeds कहा जाता है। अलसी के बीज एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल होते है। इनके उपयोग से शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत  (immunity) बढ़ती है। 

flax seed

ये है अलसी खाने के फायदे 
1) अलसी के फायदे पुरुषों के लिए –
– अलसी खाने से पुरुषों की कई सेक्स समस्यायें जैसे सेक्स में रूचि न होना, जल्दी उत्तेजित होना, सेक्स के दौरान नर्वसनेस, शारीरिक दुर्बलता, रक्त संचार (Blood circulation) से जुड़ी दिक्कतों से निजात मिलती है। 

– एक खास बात कि अलसी का सेवन पुरुषों में गंजापन पैदा करने वाले Enzyme को नष्ट करते हैं. अतः Baldness से बचाव के लिए पुरुष अलसी अवश्य खाएं। 

– बढ़ती हुई उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर, ब्लैडर कैंसर होने का खतरा होता है। अलसी का सेवन करके इन कैंसर की आशंकाओं से बचा जा सकता है। पुरुषों को अलसी के फायदे का लाभ जरूर उठाना चाहिए। 

2) अलसी पोषण से जुड़ी जानकारी – 
– अलसी के बीज Omega 3 fatty acids का बहुत अच्छा Source माने जाते हैं। डाईटिशियन और डाक्टर भी इसे खाने की सलाह देते है। अलसी खाना Omega 3 fatty acids के कैप्सूल का अच्छा विकल्प है। 

– ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड हमारे शरीर को कई तरह से हेल्दी रखने में मदद करते हैं। ये सबसे अधिक मात्रा में समुद्री मछलियों से प्राप्त होता है लेकिन शाकाहारी लोग अलसी का सेवन करके इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

सुबह खाली पेट अलसी खाने के फायदे – Ground flax 
सुबह खाली पेट गर्म पानी में एक चम्मच पिसी अलसी मिलाकर पीने और रात को सोने से पहले इसी तरह अलसी लेने से शरीर डेटोक्स होता है। 

अलसी में मौजूद फाइबर व Omega 3 fatty acids शरीर में मौजूद हानिकारक चीजों को लीवर और आंतों से निकालकर शरीर से बाहर करने का काम करते हैं। अलसी द्वारा शरीर के इस Detoxification से अनावश्यक थकान, कमजोरी, सुस्ती, सूजन दूर होता है। 

3) अलसी के बीज वजन कम करे – 
– अलसी के बीज से मोटापा कम होता है। अलसी में डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इस वजह से अलसी खाने पर जल्दी भूख नहीं लगती।

– अलसी का फाइबर पेट के लिए लाभदायक बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है जिससे मेटाबोलिज्म की रेट तेज होती है, इससे ज्यादा कैलोरी बर्न होती है। यह फाइबर मल (stool) का निकास भी आसान करता है, जिससे कब्ज नहीं होता। 

– अलसी में अन्य Natural resources की तुलना में 800 गुना ज्यादा Lignans होते हैं। लिग्नास एंटी-ओक्सिडेंट की तरह काम करते हैं और शरीर में हानिकारक फ्री ऑक्सीजन रेडिकल्स को खत्म करते हैं। 

यही फ्री रेडिकल्स मेटाबोलिक रेट धीमा करके वजन बढ़ाते है और शरीर फूल जाता है। अलसी के बीज फ्री रेडिकल्स नष्ट करके मोटापे से मुक्ति दिलाते हैं। 
4) अलसी के बीज के फायदे स्किन के लिए –
असली के बीज खाने से शरीर को मिलने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड्स स्किन के लिए लाजवाब हैं। यह बढती उम्र के असर जैसे झुर्रियों, महीन रेखाओं को दूर करता है।  यह त्वचा के कील-मुहांसों को दूर करके स्किन को नयी चमक देता है, त्वचा का कसाव बनाये रखता है। 

– हाथ-पैर के नाखून को अलसी मजबूत और चिकना बनाता है। अलसी धूप की वजह से होने वाले स्किन डैमेज से सुरक्षा प्रदान करता है और स्किन कैंसर से बचाव करता है। 

– जाड़ों में अलसी का तेल (Flaxseed oil) स्किन पर लगाने से त्वचा रूखी नहीं होती और नर्म, मुलायम बनी रहती है। 

– अलसी का तेल स्किन की खुजली, लालपन, सूजन, दाग-धब्बे दूर करके एक बढ़िया Moisturizer का काम करता है। यह स्किन समस्या Eczema, Psoriasis के उपचार में भी कारगर माना गया है। अलसी के बीज खाने से घाव भी जल्दी भरता है। 
5) Flaxseed कैसे खाये –
एक दिन में 2 टेबलस्पून (40 ग्राम) से ज्यादा अलसी के बीज का सेवन न करें। 
अलसी के साबुत बीज कई बार हमारे शरीर से पचे बिना निकल जाते हैं इसलिए इन्हें पीसकर ही इस्तेमाल करना चाहिए। 
a) 20 ग्राम (1 टेबलस्पून) अलसी पाउडर (Ground flax seeds) को सुबह खाली पेट हल्के गर्म पानी के साथ लेने से शुरुआत करें। 

b) आप इसे फल या सब्जियों के ताजे जूस, दही-छाछ में मिला सकते हैं या अपने भोजन में ऊपर से बुरक कर भी खा सकते हैं। इसे रोटी, पराठे, दलिया बनाते समय भी मिलाया जा सकता है। 

थॉयरॉइड में अलसी के फायदे –
c) दो कप पानी में दो चम्मच अलसी डालकर उबालें, जब यह आधा रह जाये तो गैस बंद कर दें। पीने लायक गर्म रह जाए तो छानकर सुबह सुबह खाली पेट पी लें। ये उपाय हाइपरथाइरोइड और हाइपोथाइरोइड दोनों प्रकार के थाइरोइड की बीमारी  में फायदेमंद है। 

अलसी से बना यह ड्रिंक डायबिटीज, शुगर कण्ट्रोल करने में भी असरकारक है। इसे पीने से आर्थराइटिस, जोड़ों के दर्द, हार्ट ब्लॉकेज, पेट की दिक्कतों जैसे कब्ज, अपच, मोटापे, बाल झड़ने, स्किन की प्रॉबलम्स में भी लाभ मिलता है।

d) अलसी के बीज हल्का भून कर खाएं अथवा सलाद या दही में मिलाकर खाएं, चाहे तो जूस में मिलाकर पियें। यह जूस के स्वाद को बिना बदले उसकी पोषकता कई गुना बढ़ा देगा। 

e) साबुत अलसी लंबे समय तक खराब नहीं होती लेकिन इसका पाउडर (Ground flax seeds) हवा में मौजूद ऑक्सीजन के प्रभाव में खराब हो जाता है, इसलिए ज़रूरत के मुताबिक अलसी को ताज़ा पीसकर ही इस्तेमाल करें। इसे अधिक मात्रा में पीसकर न रखें। 

अलसी के बीज भूनकर खाना – 

f) बहुत ज्यादा सेंकने या फ्राई करने से अलसी के बीज का फायदा, औषधीय गुण नष्ट हो सकते हैं और इसका स्वाद बिगड़ सकता है। इसलिए अलसी के बीज को इतना भूनना चाहिए कि नमी निकल जाये। 

g) व्रत में अलसी के बीज खा सकते हैं क्योंकि ये कोई अनाज नहीं है। जैसे मूंगफली का सेवन भी व्रत में किया जाता है। मूंगफली भी एक बीज है। अलसी में भरपूर पोषक तत्व होते हैं जोकि व्रत में फायदेमंद भी है। 

6) अलसी के फायदे बालों के लिए –
जैसा कि आप जानते हैं अलसी Omega 3 fatty acids का बढ़िया स्रोत है। ये फैटी एसिड्स बालों की अच्छी बढ़त के लिए जरुरी है। 

– अलसी का सेवन बालों की जड़ों से लेकर सिरों तक को पोषण देता है। इससे बाल लम्बे और मजबूत होते हैं इसलिए कम टूटते-झड़ते हैं। 

नए निकलने वाले बाल भी स्वस्थ और सुंदर होते हैं। Omega 3 fatty acids सर की स्किन को भी सूखने से बचाते हैं, जिससे डैंड्रफ यानि रूसी की समस्या भी नहीं होती। 

7) महिलाओं के लिए अलसी के फायदे –
– जिन औरतों का पीरियड रेगुलर नहीं होता और पीरियड के दौरान तेज दर्द रहता हो, उन्हें रोजाना अलसी खाना चाहिए। अलसी स्त्रियों के प्रजनन अंगों को स्वस्थ बनाता है, जिससे पीरियड नियमित होता है। 

– गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली माताओं को अलसी का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए। अलसी के बीज स्तनपान के दौरान दूध न आने की समस्या को दूर करता है। 

आज भी शहरो और कस्बों के कई परिवारों में स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को अलसी (तीसी) के बने लड्डू और अन्य भोज्य पदार्थ दिए जाते हैं। 

ये इस बात का सबूत है कि हमारे पूर्वज अलसी के बीज का महत्व अच्छी तरह जानते थे पर हम इन्हें भुलाकर सिर्फ दवाइयां खाने में विश्वास करने लगे। 

– अलसी के बीज औरतों के हार्मोनल बैलेंस के लिए बहुत सहायक होता है क्योंकि ये बीज Lignans का बहुत अच्छा स्रोत है जोकि Phytoestrogen और Anti-Oxidant गुणों से भरपूर है। 

– अलसी में पाए जाने वाला Phytoestrogen Adaptogenic होता है। अतः ये ऐसी महिलायें जिनके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत ज्यादा है या जरुरत से कम है, दोनों को अलसी फायदा पहुँचाता है। 

– महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान होने वाली समस्याओं में भी अलसी के उपयोग से राहत मिलती है। यह देखा गया है कि माइल्ड मेनोपॉज़ की समस्या में रोजाना लगभग 40 ग्राम पिसी हुई अलसी खाने से वही लाभ प्राप्त होते हैं जो हार्मोन थैरेपी से मिलते हैं। 

8) अलसी के फायदे आँखों के लिए –
अलसी में मिलने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड्स तत्व नेत्र विकार, आँखों में सूखापन (Dry Eyes) के उपचार में असरदार है और डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं। 

Omega 3 Fatty acids आँखों में नमी बराबर बनाये रखता है, जिससे ग्लूकोमा, High eye pressure के खतरे कम होते हैं।  

9) अलसी के आयुर्वेदिक गुण –
आयुर्वेद में अलसी को मंद गंधयुक्त, मधुर, बलकारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, किंचित कफ वात-कारक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है. जाड़ों में अलसी खाने से शरीर गर्म रहता है। 

– अलसी वात को संतुलित करता है, इसलिए वात बढ़ने की वजह से होने वाले विकारों का उपचार करता है। 

– अलसी के तेल को Flax seed oil या linseed oil कहते हैं।  इसमें Alpha-linolenic Acid (ALA) नामक तत्व होता है जो एक प्रकार का ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड (omega-3 fatty acid) है, जिसके कई सारे चिकित्सकीय लाभ हैं। 

10) अलसी के गुण हार्ट के मरीज और ब्लड प्रेशर के लिए – 
– हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के जमने से हृदय रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए अलसी कोलेस्ट्रॉल कम करके हृदय रोग होने के खतरे को भी कम करता है। 

अलसी विटामिन B Complex, मैगनिशियम, मैगनीस तत्वों से भरपूर है जोकि LDL नामक बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करते है।  अलसी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के लेवल में कमी आना देखा गया है। 

11) अलसी के बीज (Flax seeds in English) ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने, हाइपरटेंशन के रोगियों के लिए, ब्लड शुगर कंट्रोल में अत्यंत लाभदायक है। Type 1 और Type 2 Diabetes रोगियों के लिए अलसी डायबिटीज रोकने में कारगर पाया गया है। 

British Journal of Nutrition में प्रकाशित एक स्टडी में भाग लेने वाले लोगों के भोजन में 50 ग्राम अलसी 4 हफ्ते तक शामिल की गयी। नतीजा उनके रक्त में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा 27 % तक कम हो गयी। 

12) अलसी किडनी से जुड़ी समस्याओं में भी लाभकारी है। अलसी के बीज गरम पानी में उबालकर इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से खूनी दस्त और और मूत्र संबंधी रोगों में लाभ होता है।

13) अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक शोध में पता चला है कि अलसी में जो Poly Unsaturated fatty acids होता है, वह विशेष रूप से स्तन का कैंसर, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर (पेट के कैंसर) से बचाव करता है। 

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

सर्दियों में इस प्रकार करें Organic लहसुन का सेवन और इन बीमारियों से आराम पाएं consume garlic in winter and get relief from these diseases

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य" 

Organi garlic farm

  • Organic लहसुन के फायदे
  •  लहसुन के लाभ लाएं हृदय स्वास्थ्य में सुधार 
  • लहसुन के गुण हैं हाई बीपी को नियंत्रित करने के लिए लाभदायक 
लिवर को दुरूस्‍त और ब्‍लड शुगर कंट्रोल करता है लहसुन का अचार, 
  • लहसुन के लाभ करें गठिया के दर्द को कम 
  • लहसुन हर रसोई में मौजूद होने वाली जरूरी सामाग्रियों में से है। क्‍योंकि इसके बिना खाने को स्‍वादिष्‍ट बनाना थोड़ा मुश्किल है। केवल इतना ही नहीं, लहसुन आपको एक बेहतरीन स्‍वाद देने के साथ-साथ आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी ढेरों फायदे से भरपूर है। सर्दियों में अधितर लोग लहसुन और लहसुन का अचार खाना बेहद पसंद करते हैं। लेकिन अगर आप इनमें से एक नहीं हैं, तो हम आपको सलाह देगें कि आप भी सर्दियों लहसुन व उसके अचार का सेवन करें। लहसुन की तासीर गर्म होने की वजह से बहुत से लोग गर्मियो इसका सेवन नहीं करते या कम करते हैं। लेकिन सर्दियों में आप लहसुन का अचार खा कर इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं। 

इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार 

  • यदि आप सर्दियों में लहसुन का अचार का सेवन करते हैं, तो यह आपके इन्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। इससे आप आसानी से सर्दी-जुखाम और बुखार की चपेट में नहीं आते। यदि सर्दी जुखाम से पीडि़त हों, तो लहसुन का अचार से आपके शरीर को गर्मी मिलती है और सर्दी-खांसी जल्‍दी ठीक होती है। आप अदरक लहसुन की चाय बनाकर भी पी सकते हैं, यह एक ऐसी चमत्‍कारीय चाय है, जो एक नहीं, अनेंको फायदों से भरपूर है। गार्लिक टी में बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण हैं, जो मौसमी बीमारियों से बचाने में मददगार हैं। 

दिल को दुरूस्‍त रखता है लहसुन का अचार 

  • लहसुन का अचार आपको दिल संबंधी बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है, यह हार्ट अटैक के खतरे को दोगुना कम करने में मददगार है। ल‍हसुन के अचार खाने से ब्‍लड सर्कुलेशन बेहतर रहता है और यह धमनियों में होने वाले ब्‍लॉकेज को ठीक करने में मदद करता है। 

स्‍वस्‍थ लिवर के लिए 

  • लहसुन का अचार आपको पेट संबंधी बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है और पाचन में मददगार होता है। इतना ही नहीं यह आपके लिवर को भी स्‍वस्‍थ रखता है। लहसुन का अचार फैटी लिवर की समस्‍या के उपचार में मददगार है, यह उसे धीरे-धीरे कम कर सकता है। लहसुन का अचार लिवर की क्षमता बढ़ा सकता है और पाचन तंत्र को दुरूस्‍त रखता है। 

  • लहसुन हर रसोई में मौजूद होने वाली जरूरी सामाग्रियों में से है। क्‍योंकि इसके बिना खाने को स्‍वादिष्‍ट बनाना थोड़ा मुश्किल है। केवल इतना ही नहीं, लहसुन आपको एक बेहतरीन स्‍वाद देने के साथ-साथ आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी ढेरों फायदे से भरपूर है। सर्दियों में अधितर लोग लहसुन और लहसुन का अचार खाना बेहद पसंद करते हैं। लेकिन अगर आप इनमें से एक नहीं हैं, तो हम आपको सलाह देगें कि आप भी सर्दियों लहसुन व उसके अचार का सेवन करें। लहसुन की तासीर गर्म होने की वजह से बहुत से लोग गर्मियो इसका सेवन नहीं करते या कम करते हैं। लेकिन सर्दियों में आप लहसुन का अचार खा कर इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं। 




ब्लड शुगर कंट्रोल करे 

  • ब्‍लड प्रेशर से लेकर ब्‍लड शुगर कंट्रोल करने में लहसुन काफी मददगार है। आप लहसुन का अचार, लहसुन की कच्‍ची कलियां या लहसुन की चाय बनाकर पी सकते हैं। लहसुन के अचार में प्राकृतिक इंसुलिन मौजूद होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसलिए डायबिटीज रोगियों के लिए लहसुन का अचार बेहद फायदेमंद है। 


जोड़ो का दर्द 

  • Organic लहसुन का अचार शरीर में या जोड़ो में होने वाले दर्द को दूर करने का रामबाण इलाज है, यह साइटिका, जोड़ो के दर्द और अन्‍य शारीरिक दर्द को कम करने में मदद करता है। लेकिन हमेशा ध्‍यान रखें कि लहसुन के अचार को हमेशा सीमित मात्रा में खाएं। क्‍योंकि अधिक मात्रा में सेवन पेट गर्मी, पेशाब में जलन, उल्टी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए आप एक समय में 2 से 4 लहसुन की कलियां ही खाएं। 

रविवार, 24 जनवरी 2021

ऐसे खाये मूंगफली होंगे जादुई फायदे Eat peanuts in this way will be magical benefits

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य"

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सर्दियों में मूंगफली खाने के फायदे (Reason why you must eat peanuts)
1. प्रोटीन का स्रोत 100 ग्राम मूंगफली में लगभग 25.8 ग्राम प्रोटीन होता है.
2. वजन कम करने में कर सकती है मदद .
3. दिल की सेहत के लिए अच्छी है मूंगफली .
4. ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है मूंगफली .
5. मिनरल और विटामिन से भरपूर होती है मूंगफली.
मूंगफली सर्दियों का सबसे लोकप्रिय टाइम पास है. ठंड में दोस्तों, यारों के साथ समूह में बैठकर मूंगफली खाने का अपना ही मजा है. इसे सस्ता बादाम भी कहा जाता है. इस बात से ही ये अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें लगभग वो सारे तत्व पाए जाते हैं जो बादाम में होते हैं लेकिन बेहद सस्ती कीमत पर.
मूंगफली की अपनी मीठास होती है लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है. ज्यादातर लोग तो इसे स्वाद के लिए ही खाते हैं पर यकीन मानिए इससे होने वाले फायदे जानकर आप भी चौंक जाएंगे.
मूंगफली में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप किसी भी कारण से दूध नहीं पी पाते हैं तो यकीन मानिए मूंगफली का सेवन इसका एक बेहतर विकल्प है.
मूंगफली खाने के 8 फायदे:
1. मूंगफली में मौजूद तत्व पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं. इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.
2. मूंगफली खाने से शरीर को ताकत मिलती है. इसके अलावा ये पाचन क्रिया को भी बेहतर रखने में मददगार है.
3. गर्भवती महिलाओं के लिए मूंगफली खाना बहुत फायदेमंद होता है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास बेह

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दरअसल यह वनस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। हेल्थ रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि दूध और अंडे से कई गुना ज्यादा प्रोटीन होता है मूंगफली में । इसके अलावा यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत हैं। थोड़े से मूंगफली के दानों में 426 कैलोरीज, 5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 17 ग्राम प्रोटीन और 35 ग्राम वसा होती है। इसमें विटामिन ई, के और बी6 भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है। साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो भिगोई हुई मूंगफली और भी अधिक फायदेमंद होती है ..क्योंकि मूंगफली के दानों को पानी में भिगोने से इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स बॉडी में पूरी तरह अब्जॉर्ब हो जाते हैं। आज हम आपको भिगोई हुई मूंगफली खाने के कुछ ऐसे ही फायदे बता रहे हैं जिसे जानने का बाद आप दूसरें महंगे पौष्टिक चीजों के बजाए इसका सेवन करना पसंद करेगें।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है
मूंगफली कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में 5.1 फीसदी की कमी आती है। इसके अलावा कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएलसी) की मात्रा भी 7.4 फीसदी घटती है।
पाचन शक्ति बढ़ाता है
मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स होने के कारण ये पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या खत्म हो जाती है.. साथ ही, गैस व एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए है फायदेमंद
मूंगफली का नियमित सेवन गर्भवती स्त्री के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसमें फॉलिक एसिड होता है जो कि गर्भावस्था में शिशु के विकास में मदद करता है।
हार्ट प्रॉब्लम का निजात
शोध से यह भी पता चला है कि सप्ताह में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम रहता है।
त्वचा के लिए भी है लाभकारी
मूंगफली स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होती है। मूंगफली में ओमेगा-6 फैट भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं और अच्छी त्वचा के लिए जिम्मेदार है।
मूड अच्छा बनाता है
मूंगफली में टिस्टोफेन होता है जिस वजह से इसके सेवन से मूड भी अच्छा रहता है।
उम्र का प्रभाव कम करता है
प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन और एंटीआक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से स्किन उम्र भर जवां दिखाई देती है।
आंखों के लिए है रामबाण
मूंगफली का सेवन आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है.. इसमें बीटी कैरोटीन पाया जाता है जिससे आंखें हेल्गी पहती हैं।

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

अच्छी सेहत और लम्बी उम्र चाहिए, तो गेंहू-चावल नहीं बल्कि 'मोटा' अनाज खाइए ,if you want good health and long life, then eat 'fat' grains rather than wheat-rice

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भारत देश में पुराने ज़माने में लोग अच्छी सेहत और लम्बी उम्र वाले होते थे क्यूंकि
हमारे बड़े-बूढ़े अक्सर मोटा अनाज खाते थे।और वे मोटा अनाज खाने की सलाह देते थे, लेकिन अब यह स्टडी में भी साबित हो गया है। मोटा अनाज सेहत ही नहीं, पर्यावरण को भी दुरुस्त रखता है। भारत में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ और कई अन्य मोटे अनाज उगाए जाते हैं। ये अनाज आयरन, कॉपर, प्रोटीन जैसे तत्वों से तो भरपूर होते और इनमे  नेचुरल पोषक तत्त्व रहते है।  इनकी खेती आर्गेनिक तरीके से होती हैं, गेहूं, धान जैसी फसलों की तरह ग्रीन हाउस गैसों के बनने का कारण भी नहीं बनते।


गेहूं-धान उगाने में यूरिया का इस्तेमाल होता है 
एक स्टडी बताती है कि गेहूं और धान को उगाने में यूरिया का बहुत प्रयोग किया जाता है। यूरिया जब विघटित होता है, तो नाइट्रस ऑक्साइड, नाइट्रेट, अमोनिया और अन्य तत्वों में बदल जाता है। नाइट्रस ऑक्साइड हवा में घुलकर स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है। इससे सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। यह एसिड रेन का कारण भी बनती है। यह गैस तामपान में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी करती है।

कम पानी में भी उग जाते हैं मोटे अनाज
जर्नल ग्लोबल एनवायरनमेंटल चेंज में छपी इस स्टडी में कहा गया है कि गेंहू और धान के विपरीत मोटे अनाजों को उगाने के लिए यूरिया की खास जरूरत नहीं होती। वह कम पानी वाली जमीन में भी आसानी से उग जाते हैं। इस कारण ये पर्यावरण के लिए ज्यादा बेहतर होते हैं।

सरकार का जोर
जहां मोटे अनाजों का रकबा कम हो रहा है और किसान उन्हें कम उगा रहे हैं, वहीं सरकार इन्हें बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वह इनके पोषक गुणों को देखते हुए लोगों से इनका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को कह रही है। वह इन्हें मिड-डे मील स्कीम में भी शामिल कर रही है।



कमी को लेकर चिंता
इस पर अफसोस जताया गया है कि पिछले कई दशकों से मोटे अनाजों के रकबे में लगातार कमी आती जा रही है। स्टडी के मुताबिक, 1966 में देश में करीब 4.5 करोड़ हेक्टेयर में मोटा अनाज उगाया जाता था। रकबा घटकर ढाई करोड़ हेक्टेयर के आसपास रह गया है। स्टडी में इसके लिए भारत की हरित क्रांति को जिम्मेदार ठहराया गया है।


अगर आप चाहते हैं कि आप हमेशा स्वस्थ रहें तो आपको आज ही ज्वार, बाजरा, रागी और मक्का जैसे मोटे अनाजों का सेवन शुरू कर देना चाहिए। गेंहू और धान जैसे अनाज में सभी पोषक तत्व नहीं पाए जाते तथा इनमे उगाने के लिए होने वाले रसायन के इस्तेमाल से ये कम  पोषक तत्त्व वाले हो जाते है , 





गुरुवार, 14 जनवरी 2021

मिलावटी आटे की बनी रोटियों से जा सकती है जान, घर पर ऐसे करें पहचान, Can be killed with adulterated flour cakes, identify at home like this

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हमारे पास अपना जैविक खेत है। हमारे पास भारत सरकार PGS(Participatory Guarantee System for India) से प्रमाणित किसानों का समूह है, जो जैविक अनाज,फल ,फूल ,औषधियां एवंम सब्जियाँ उगाते है। हमारे पास जहरीले कीटनाशक उर्वरक मुक्त जैविक अनाज होता है । हम भारत में एक विश्वसनीय जैविक खाद्य पुनर्विक्रेता हैं। "स्वस्थ्य आहार और स्वस्थ्य जीवन हमारा उद्देश्य" Please Follow our 




आटे और मैदे में फाइबर, विटामिंस और न्यूट्रिएंट्स बहुत भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन मिलावटी आटे के इस्तेमाल से हमें ये फायदे नहीं म‍िल पाते और यह हमारे सेहत को जो नुसान होता है वह अलग। म‍िलावटखोर गेहूं के आटे में अक्सर चाक पाउडर, बोरिक पाउडर, खड़िया मिट्टी और मैदा मिलाते हैं।

आजकल गेहूं को पिसवाकर आटा बनाने के बजाय मार्केट से पैक्ड आटा लेना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन बाजार से लिए गए आटे में मिलावट होती है। तो जान‍िए क‍ि कैसे करें आटे की शुद्ध की पहचान।

गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिए उसमें घटिया चावल का चूरा भी मिलाया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे आसान टिप्‍स बताने जा रहे हैं ज‍िन्हें आजमाकर आप खुद परख सकते हैं कि आटा शुद्ध है या मिलावटी।

शुद्ध आटे की पहचान उसको गूंधते और उसकी रोटी बनाते समय भी की जा सकती है। जब आप शुद्ध आटे को गूंधते हो तो वो बहुत नर्म होता है और उससे बनी रोटियां भी अच्छी तरह से फूलती है। मिलावटी आटे को गूंधने में असली आटे के बनिस्पत कम पानी की जरूरत होती है। मिलावटी आटे की रोटियां बेशक ज्यादा सफेद होती हैं, मगर उन में नेचुरल स्वीटनेस नहीं होती। आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है और बेलने पर रोटी नहीं फैलती, च्यूइंगम की तरह खिंचती हैं।

आटा/मैदा या सूजी में कुछ मिलावटखोर लोहे का बुरादा भी मिलाते हैं। इसे जांचने के लिए किसी कांच की प्लेट में थोड़ा सा आटा या मैदा लीजिए। इसपर एक चुम्बक घुमाइये। यदि आटा/मैदा शुद्ध होगा तो चुम्बक पर कुछ नहीं चिपकेगा, लेकिन यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो लोहे का बुरादा चुम्बक पर नजर आएगा।

​हाइड्रोक्‍लोर‍िक एसिड से लगाएं मिलावट का पता

आटे में मिलावट को आप घर पर ही साइंटिफिक तरीके से भी चेक कर सकते हैं। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आपको मेडिकल स्टोर में मिल जाएगा। आटे की मिलावट जांचने के लिए आप एक टेस्ट-ट्यूब लीजिए और उसमें थोड़ा-सा आटा डालें। फिर इसमें थोड़ा-सा हाइड्रोक्‍लोरि‍क एसिड डालें। हाइड्रोक्‍लोरि‍क एसिड डालने पर अगर ट्यूब में कुछ छानने वाली चीज नजर आए तो समझ लें कि आटे में मिलावट की गई है।

पानी से जांचें मिलावट को

एक कांच के गिलास में आधा गिलास पानी भरें और इसमें एक चम्मच आटा डालें। यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो उसमें मिलाई गई चीजें भूसी, रेशे और चोकर पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगेंगे। इसका अर्थ यह है कि आटे में मिलावट है।

नींबू का रस

नींबू के रस की मदद से भी मिलावटी आटे की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बड़ा चम्मच आटा लेकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे डालें। अगर आटे में बुलबुले बने या हल्की झाग की तरह दिखे तो आटे में चॉक पाउडर या खड़िया मिट्टी की मिलावट की गई है। क्योंकि चॉक पाउडर और खड़िया मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट होता है जो नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड से मिलने के बाद झाग छोड़ता है, जिसके कारण बुलबुले बनते हैं।

सिंघाड़े और कुट्टू के आटा में मिलावट की पहचान

मुनाफे के लिए मिलावटखोर कुट्टू के आटे में अरारोट पाउडर, पिसा चावल, खरपतवार की बीज (कुंज्जू) या बाजरा को पीसकर मिला देते हैं। कुंज्जू के बीज सिर्फ सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं बल्कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से जान भी जा सकती है। मिलावटी आटे के इस्तेमाल से पेट में कई तरह की तकलीफ हो सकती है, कब्ज बढ़ सकता है और लीवर भी प्रभावित हो सकता है। सिंघाड़ा और कुट्टू का शुद्ध आटा पीलापन लिए होता है, जबकि मिलावट वाला सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा सफेद होता है। खराब और मिलावटी आटा गूंथते समय लसलसा हो जाता है और उसमें से अजीब गंध आती है।







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