आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिसके मार्ग पर अपनी दिनचर्या को चलाएं इससे आप निरोग रहेंगे स्वस्थ रहेंगे और खुशहाल रहेंगे तो आइए जानते हैं इसके बारे में.......
1, प्रातः काल सूर्योदय होने से पहले या सुबह 6:00
बजे तक उठ जाए। नित्य क्रिया करने के बाद अपने ईस्ट भगवान का ध्यान लगाए इससे आपकी मानसिक शांति और दिमांग फुरत रहेगा।
2, मुँह में ताजा पानी रखकर अपनी आँखों और चेहरे पर ताजे पानी के छीटें लगाए , इससे आँखों की सफाई होती है और देखने की छमता बढ़ती है। अगर संभव हो तो सुबह सुबह नगें पांव हरी घास पर टहलें इससे आपकी आँखों की रौशनी बढ़ती है।
3, अपने दांतो को अपनी जीभ को अच्छी तरह से साफ करें और मसूड़ों पर शुद्ध तिल का तेल लगाकर मालिश करें। सप्ताह में कम से कम 2 बार आप नीम की दातुन करें, या फिर सरसों के तेल और नमक से अपने दांत और मसूड़ों की हल्के हल्के से मालिश करें।
4, गर्मी में ताजे पानी से और सर्दी में हल्के गुनगुने पानी से अपनी नाक नासिका के द्वारा पानी को खींच कर के नाक को साफ करें।
5, सप्ताह में कम से कम 3 से 4 दिन एक कप गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डाल कर के अपने गले में गरारा करें।
6, अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार सुबह-सुबह तीन से चार गिलास भरपेट ताजा स्वच्छ पानी पिए, फिर उसके बाद शौचालय जाए। आपकी जो कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम है वह नहीं होगी आपका मोशन क्लियर होगा आपका पेट साफ रहेगा और आपको मल त्याग करने में नेचुरल प्रेशर बनेगा।
7, कम से कम 5 मिनट तक लंबी सांस लें।
8, रोजाना 1 मिनट तक जोर से हंसे, लम्बी सांस लें, इससे आपके फेफड़े और ह्रदय स्वस्थ्य रहेंगे।
9, नित्य व्यायाम योगा एक्सरसाइज करें।
10, पूरे शरीर का शुद्ध सरसों का तेल या तिल का तेल लगाकर मसाज करें अपने इंद्रियों को कान नाक इत्यादि में सरसों का तेल लगाएं और हल्का हल्का मालिश करें।
11, इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान करें केवल आयुर्वेदिक आर्गेनिक विधी से बने हुए साबुन शैंपू आदि का उपयोग करें।
12, स्नान के ठीक बाद आरामदायक कपड़े पहनने और प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बने हुए सौंदर्य प्रसाधन के सामानों का ही इस्तेमाल करें खतरनाक केमिकल से बनी हुई क्रीम पाउडर या अन्य किसी भी सुंदर सामग्री का इस्तेमाल ना करें यह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.
13, नाश्ता करने से पूर्व आप सुबह सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस आमला जूस या व्हीटग्रास का जूस या गिलोय का जूस 15 से 20 ml लें। यह जूस आपके बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता डाइजेस्टिव सिस्टम इत्यादि को मजबूत करते हैं और आपके बॉडी में हारमोंस को बैलेंस करते हैं।
14 नाश्ता पोस्टिक होना चाहिए और प्राकृतिक होना चाहिए इसके लिए आप नाश्ते में सुबह-सुबह दलिया ताजे फल भीगे बदाम भीगे चने किशमिश शहद के साथ गर्म दूध या अंकुरित अनाज इत्यादि ले सकते हैं नाश्ता साफ सुथरा स्वच्छ ताजा ले और नाश्ता भरपूर करें नाश्ता बिल्कुल मिस ना करें।
15, इसके बाद अपने कार्य पर जाएं, आप अपने कार्य को शांत चित्त मन लगाकर करें अपने कार्य करने के दौरान अपना मन और अपना दिमाग अपने काम पर लगाएं और आनंद के साथ काम करें।
16, दिन भर में कम से कम 5 से 6 लीटर पानी का इस्तेमाल करें, घूंट घूंट कर पानी पिए अगर हल्की फुल्की भूख लगे तो आप ताजा फल, फलों का रस सूखे मेवे आयुर्वेदिक चाय आदि का सेवन कर सकते हैं।
17 , दोपहर का लंच शांत स्थान पर एकाग्र चित्त होकर बैठकर करें पौष्टिक और शाकाहारी भोजन करें भोजन को खूब चबा चबाकर खाएं और भोजन करते वक्त अन्य कहीं पर अपना ध्यान केंद्रित ना करें जैसे कि टीवी देखना मोबाइल चलाना या फिर कंप्यूटर लैपटॉप पर काम करना आदी। गेम खेलना या दूसरों से बातें करना इत्यादि जैसे अनावश्यक चीजों पर भोजन करते वक्त ध्यान ना लगाएं भोजन के दौरान सिर्फ भोजन पर ध्यान दें।
18, शराब का सेवन ना करें या अगर आप करना चाहते हैं तो occasionally करें प्रतिदिन नहीं।
19,चाय या कांफी का इस्तेमाल कम से कम करे , हो सके तो हर्बेल पेय ले, या आयुर्वेदिक चाय का उपयोग करें।
20,रात का खाना हल्का और साधारण होना चाहिए, ज्यादा मिर्च मसाले वाला नहीं।
अपने किचन में सरसो का तेल या ओलिव आयल का ही इस्तेमाल करें, रिफाइंड का इस्तेमाल कम से कम करे। आजकल बाजार में उयलब्ध रिफाइंड या लोकल कुकिंग आयल में खतरनाक केमिकल ,आर्जीमोन, पाम आयल का प्रयोग होता है । इसके सेवन से हमारी बॉडी में अनेको तरह की बिमारियों का आगमन होता है। हमारे देश में कभी भी ऐसे तेल को इस्तेमाल में नहीं लाया जाता था, ये तो आज बड़ी हुयी जनसख्या का पेट भरने और बाजारवाद में मुनाफा कमाने के लिए इन जहर को हमको खाना पड़ रहा है ।
लेकिन हम लोग भारतीय अगर थोड़ा सा हमझ जाये अपने पूर्वजो को समझे आखिर कैसे ओ इतने कम सुख सुविधाओं के होते हुए भी कैसे ज्यादा निरोगी, तेज, मेहनती, दिमाग वाले और मजबूत होते थे ।.
इस प्रकार की दिनचर्या अगर हम अपनाते है तो हम अपनी जिंदगी में रोग से बच सकते है, या कहे तो हम अपनी शरीर को ज्यादा निरोग रख सकते है।
याद रहे खुस रहने के लिए आपको किसी और के सुझाव या किसी अलादीन की चिराग की जरूरत नहीं है, सिर्फ आप को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है।
पांच ऊगली , दिन रात, धरती आकाश ,प्रकृति की बनावट आदि सब कुछ एक जैसी नहीं है, भगवन ने सब कुछ गुण भाव और सामर्थ्य एक जैसे नहीं दिए है यहाँ सब अलग अलग है । और अलग अलग अपनी पहचान रखते है। इस लिए हम इंसान को अपनी आदत गुण और सामर्थ्य के अनुसार ही जीवन यापन करना चीहिए , और जो कुछ भी आप अपने कर्म और मेहनत से अर्जित किये है उसी में खुस रहना चाहिए।
याद रखे ये संसार कर्म प्रधान है।
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥
सकल पदारथ हैं जग मांही।
कर्महीन नर पावत नाहीं ॥
इस लिये यहाँ आप कुछ न कुछ कार्य जरूर करें। बस यही ध्यान रखो की
अपने कर्म में अपनी पूरी मेहनत लगन होस हवास लगा कर करे। एक काम करते हुए सिर्फ उसी पर फोकस रखे दूसरे काम की सोच तब तक न करें जब तक की आपका पहला कार्य ख़त्म न हो जाय।
इस तरह आपक खुस रह सकते है । याद रहे खुसी जीवन ही सवस्थ्य जीवन का आधार है।
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