हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि हरे पत्तों में सबसे ज़्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं। हरे पत्तों वाले साग में आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और इन्हें खाने के कई फायदे भी हैं। पालक, मेथी, चौलाई, सरसों ऐसे साग हैं जिन्हें हम सर्दियों में अक्सर अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके अलावा भी कई साग या हरे पत्ते ऐसे होते हैं जिनका इस्तेमाल किसी बीमारी से निपटने या स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। देश के अलग - अलग हिस्सों में ये साग काफी प्रचलित हैं। हालांकि अब लोग इनका इस्तेमाल काफी कम करने लगे हैँ। अगर आप अपने रोज़ के खाने में कुछ ताज़ा स्वादों को शामिल करना चाह रहे हैं तो यहां हम आपको बता रहे हैं 12 स्वादिष्ट (और अत्यंत पौष्टिक) पत्तेदार सब्जियों या कुछ ऐसे पत्तों के बारे में जिनका लोग किसी तरीके से खाने में इस्तेमाल करते हैं... हो सकता है कि इनमें से कुछ के बारे में पढ़कर आपकी पुरानी यादें ताज़ा हो जाएं...
4. इमली की पत्ती हममे में से ज़्यादातर लोगों को ये लगता है कि इमली के पत्ते तो बेकार होते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि स्वाद में खट्टे इमली के पत्तों में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इनमें फाइबर, पोटेशियम, आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है। दक्षिणी भारत के कई गाँवों में करी, चटनी और रसम बनाने में इमली के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। आंध्र प्रदेश में एक ख़ास तरह की चटनी जिसका नाम चिंटाचिगुरु पच्चड़ी होता है, इमली के पत्तों से ही बनती है। इसे इमली के पत्तों के साथ मूंगफली के दाने, लहसुन की कली, सूखी लाल मिर्च और जीरा को साथ पीसकर बनाया जाता है।
Ever Green Indian Saag,
सरसों का साग
सरसों के साग में कैलोरी, फैट, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर, पोटेशियम, विटामिन ए, सी, डी, बी 12, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स की मौजूदगी के कारण न सिर्फ शरीर से विषैले पदार्थो को दूर करते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। सरसों के साग में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण पाचन क्रिया दुरूस्त रहती है, इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और दिल के रोगों की आंशका भी कम हो जाती है।
पालक के लाभ
आमतौर पर पालक को केवल हिमोग्लोबिन बढ़ाने वाली सब्जी माना जाता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी बहुत से गुण विद्यमान है। पालक में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर और खनिज लवण होता हैं। साथ ही पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।
पालक के नुकसान
पालक का अत्यधिक उपयोग से पेट में गैस, सूजन, दर्द और यहां तक कि कब्ज जैसे पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।
थी का साग
सर्दी का मौसम आते ही सब्जी बाजार में मेथी खूब दिखने लगती है। मेथी में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, नियासिन, पोटेशियम, आयरन मौजूद होता हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर आदि भी मिलते हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं। पेट ठीक रहे तो स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और खूबसूरती भी बनी रहती है। मेथी पेट के लिए काफी अच्छी होती है। साथ ही यह हाई बीपी, डायबिटीज, अपच आदि बीमारियों में मेथी का उपयोग लाभकारी होता है।
चौलाई का साग
हरे पत्तेदार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी मानी जाती हैं। हरी पत्तेदार सब्जी में चौलाई का मुख्य स्थान है। चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनिरल और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। चौलाई के इन हरे पत्ते की सब्जियों को रोजाना खाने से शरीर में होने वाले विटामिन की कमी को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। पेट और कब्ज के लिए चौलाई का साग बहुत उत्तम माना जाता है। चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं।
बथुआ का साग
बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें बहुत सा विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है। बथुआ हरा शाक है जो नाइट्रोजन युक्त मिट्टी में फलता-फूलता है। सदियों से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने में होता रहा है। इसके साग को नियमित खाने से कई रोगों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इससे गुर्दे में पथरी होने का खतरा काफी कम हो जाता है। गैस, पेट में दर्द और कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है।
बथुआ के नुकसान
बथुआ का अधिक सेवन से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है।
चने का साग
आपने सरसों का साग तो खाया होगा लेकिन क्या आपने कभी चने का साग भी खाया है? बाजार में चने का साग बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध है। सर्दियों की रात में खाने में चने के साग के साथ मक्का या बाजरे की रोटी का स्वाद सिर्फ खाकर ही लिया जा सकता है। चने का साग खाने में पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। चने के साग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, फाइबर, कैल्शियम, आयरन व विटामिन पाये जाते हैं। यह कब्ज, डायबिटिज, पीलिया आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। चने का साग हमारे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति करता है इसलिए इसे प्रोटीन का राजा भी कहा जाता है।
गर्म पानी में डुबोने के बाद खाएं
केमिकल युक्त सब्जियों के सेवन से लीवर, गुर्दा को सीधे नुकसान पहुंचता है। केमिकल युक्त रंग में हैवी मेटल होने से किडनी खराब हो जाती है। नाला के पानी से उपजी सब्जी के खाने से खून के माध्यम से छोटे जीवाणु या जीवाणु का अंडा दिमाग में पहुंच जाते हैं। जिससे दिमाग का दौरा पड़ना शुरू हो जाता है। इसके कारण दिमागी बुखार, मिर्गी जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
लहसुन
लहसुन का प्रभाव गर्म होता है, इसलिए यदि आप सर्दियों के दौरान हर दिन लहसुन लेते हैं, तो यह आपके शरीर को अंदर से गर्म रखेगा और बीमारियों को भी रोकेगा। सर्दियों में, अगर आप रात को सोने से पहले लहसुन की चटनी खाते हैं, तो आपको कई फायदे दिखाई दे सकते हैं।