शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

जानें ऑर्गेनिक मोरिंगा, सहजन खाने के फायदे,, What is the Benefit of Moringa ??.

ऑर्गेनिक फूड, ऑर्गेनिक डाइट, ऑर्गेनिक प्रोसेस फूड, ऑर्गेनिक फूड का स्वास्थ्य लाभ, प्राकृतिक आहार, वन फसलें, भुना हुआ अनाज, ऑर्गेनिक मसाले, भारतीय मसाले, ऑर्गेनिक ड्राई फ्रूट्स, ऑर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट्स, स्वास्थ्य युक्तियाँ, कहानी।

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Moringa Fruites.

ऑर्गेनिक मोरिंगा या सहजन एक प्रकार की खाद्य सब्‍जी है जो विशेष रूप से दक्षिण भारतीय भोजन में बहुत ही लोकप्रिय है। सहजन के आयुर्वेदिक गुण होने के कारण इसे सुपर फूड के रूप में उपभोग किया जाता है। मोरिंगा पाउडर के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। हालांकि मोरिंगा पेड़ के पत्‍ते, फूल, फल और छाल आदि सभी का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। आज इस लेख में आप सहजन या मोरिंगा पाउडर के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
सहजन का पाउडर मारिंगा ओलेइफेरा (Moringa oleifera) पेड़ से बनाया जाता है। यह पेड़ अब तक के ज्ञात पेड़ों में सबसे अधिक पौष्टिक और औषधीय गुणों वाला है। इस पेड़ के अधिकांश औषधीय गुण इसकी पत्तियों में केंद्रित हैं। मोरिंगा पाउडर सहजन के पेड़ की पत्तियों से बनाया जाता है। सहजन के पत्‍तों का पाउडर गहरे हरे रंग का होता है जिसमें सहजन की पर्याप्‍त गंध होती है। सहजन का पाउडर बनाने के लिए इसकी पत्तियों को कम तापमान में छाये में सुखाया जाता है। जिससे पौधे के ऊतकों को एक महीन चूर्ण में बदला जा सके। इसके बाद इस पाउडर की अशुद्धियों को दूर कर इन्‍हें कैप्‍सूल आदि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि एक बार पैक करने के बाद, यह पाउडर कई महीनों तक ताजा रहता है, विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट, क्लोरोफिल और पूर्ण अमीनो-एसिड के पोषण मूल्य को बरकरार रखता है। आइए जाने सहजन में मौजूद पोषक तत्‍व क्‍या हैं।

सहजन पेड़ के उपयोगी भाग – Useful part of the Sahajan Plant
सहजन पेड़ के फल का खाद्य सब्‍जी के रूप में सबसे अधिक उपयोग होता है। हालांकि इस पेड़ के औषधीय गुण सबसे अधिक इसकी पत्तियों में होते हैं। सामान्‍य रूप से सहजन के पेड़ के लगभग सभी हिस्‍सों में औषधीय गुण होते हैं जिनका उपयोग आप कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं। सहजन पेड़ के उपयोगी भाग में जड़, छाल, सहजन के फल, सहजन के बीज, सहजन की पत्तियां, फूल और पेड़ के अर्क आदि हैं जिनका औषधीय उपयोग होता है।

डायबिटीज रोगी के लिए सहजन का पाउडर बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके मौजूद पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ रक्‍त में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को सामान्‍य रखने में सहायक होते हैं। मधुमेह के लक्षणों को कम करने के लिए रोगी को सहजन से बने कैप्‍सूल या सहजन पाउडर का नियमित सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से उपभोग करने पर यह उच्‍च रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में प्रभावी होता है। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो सहजन के पाउडर से बने पेय को अपने दैनिक आहार में शामिल करें। (1)

 क्या आप जानते हैं  ऑर्गेनिक सहजन के फायदों के बारे में ??

चलिए हम आपको आज बताते है ओर्गानिक मोरींगा, सहजन के फायदे 
हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सहजन की पत्तियों का रस निकालकर काढ़ा बनाकर देने से लाभ मिलता है। ...

कैल्शियम का स्रोत सहजन की फली में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ...
मोटापा कम करे ...
सिरदर्द दूर करे
1) सहजन की पत्तियों के फायदे – इसकी पत्तियों में प्रोटीन, विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, विटामिन E, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं.

इसकी फली में विटामिन C और सहजन की पत्ती में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. सहजन में एंटीओक्सिडेंट, बायोएक्टिव प्लांट कंपाउंड होते हैं. सहजन की पत्ती का पाउडर सुबह सेवन करें या उबाल कर पानी पियें। 

2) सहजन की फली और पत्ती का सूप पीने या दाल में सहजन की पत्ती मिलाकर बनाने से बदलते मौसम के असर से बचाव होता है. यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाकर ऐसे मौसम में होने वाले सर्दी-जुकाम होने से रोकता है.

यहाँ तक कि एड्स के रोगियों को दी जाने वाली Anti-Retroviral therapy के साथ यह हर्बल सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है.

3) सहजन (Moringa) पेट की समस्याओं के लिए कारगर है. सहजन हल्का रेचक है, अतः यह पेट साफ करता है. फाइबर की वजह से यह कब्ज दूर करता है.

पेट के कीड़े और जीवाणुओं से भी सहजन मुक्ति दिलाता है. सहजन की जड़ का पाउडर पेट में पाए जाने वाले राउंड वर्म (Helminth worms) को खत्म करता है.

4) वजन घटाने में सहजन – Moringa for weight loss: जानिए कैसे ? सहजन में डाईयूरेटिक गुण होते हैं जोकि शरीर की कोशिकाओं में अनावश्यक जल को कम करता है. इसके एंटी-इन्फ्लेमेटोरी गुण शरीर की सूजन कम करते हैं.

फाइबर से भरपूर सहजन शरीर में फैट अवशोषण कम करता है. इन्सुलिन रेजिस्टेंस कम करके यह अनावश्यक फैट जमने को रोकता है.

5) दूध पिलाने वाली माताओं के लिए सहजन बहुत बढ़िया है – सहजन की पत्ती को घी में गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का पुराना रिवाज है. इससे दूध की कमी नहीं होती और जन्म के बाद की कमजोरियों जैसे थकान आदि का भी निवारण होता है.

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 Moringa Tree सहजन

बच्चे का स्वास्थ्य सही रहता है और वजन भी बढ़ता है. सहजन में पाए जाने वाला पर्याप्त कैल्शियम किसी कैल्शियम सप्लीमेंट से कई गुना अच्छा है.

7) यह ब्लड शुगर लेवल और कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित करता है. ये हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करता है. कोलेस्ट्रॉल कम करने की वजह से यह ह्रदय के लिए अच्छा है.

8) हृदय रोग, मेटाबोलिक डिसऑर्डर जैसे डायबिटीज, इन्सुलिन रेजिस्टेंस आदि की वजह से होनी वाली जलन और सूजन से सहजन राहत दिलाता है.

सहजन की पत्ती के अतिरिक्त इसकी फली, फूल, बीज में भी यह गुण पाए जाते हैं. सहजन की सब्जी खाने से भी यह लाभ उठाये जा सकते है.

9) सहजन कैंसर प्रतिरोधी है. इसके एंटी ओक्सिडेंट, Kaempferol, Quercetin, Rhamnetin तत्व एंटी-कैंसर होते हैं. यह स्किन, लीवर, फेफड़े और गर्भाशय के कैंसर होने से सुरक्षा करता है.

10) सहजन के एंटी ओक्सिडेंट शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं. न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर सहजन एनर्जी की कमी पूरी करता है और जल्दी थकान नहीं होने देता. सहजन में पाए जाने वाले बेहतरीन एमिनो एसिड्स नए टिश्यूस बनाते हैं, अतः यह शरीर के विकास के लिए लाजवाब है.

11) किडनी स्टोन समस्या में सहजन कारगर है. यह किडनी में जमे अनावश्यक कैल्शियम को शरीर से बाहर निकालता है. इससे स्टोन नहीं बनने पाता और यह किडनी स्टोन से होने वाले दर्द और जलन को भी कम करता है.

12) थाइरोइड रोगी को सहजन अवश्य खाना चाहिए. जिनकी थाइरोइड ग्लैंड अधिक सक्रिय होती है, वे सहजन खाते है तो बढ़ा हुआ थाइरोइड स्राव कम होने लगता है. थाइरोइड रोग की दो कंडीशन Grave’s disease और Hashimoto’s disease दोनों के लिए सहजन का सेवन रोग मुक्ति दिलाता है.

13) सहजन एक बढ़िया हेयर टॉनिक है (Moringa for hairs in hindi) : सहजन का जिंक, विटामिन और एमिनो एसिड्स मिलकर केराटिन बनाते हैं, जोकि बालों के ग्रोथ लिए बहुत आवश्यक है.

सहजन की फली में मिलने वाले बीज में एक खास तेल होता है जिसे Ben oil कहते हैं. यह तेल बालों लम्बे, घने करता है और डैंड्रफ, बाल झड़ने की परेशानी दूर करता है.  इसलिए सहजन की सब्जी खाएं, सूप पियें या सहजन की पत्ती के पाउडर का सेवन करें.

14) कई स्किन रोगों में सहजन का उपयोग करके लाभ उठा सकते हैं. सहजन का तेल सोरायसिस, एक्जिमा रोग में लगायें, फायदा होगा. Sahjan ki fali के बीजों का यह तेल यानि Ben oil को Acne, Blackheads समस्या में चेहरे पर लगायें.

इसका क्लींजिंग और एंटीसेप्टिक गुण इन्हें खत्म करता है. स्किन के लिए उपयोगी विटामिनों, एंटीओक्सिडेंट गुणों से भरपूर यह तेल चेहरे की झुर्रियाँ और महीन लकीरें दूर करता है.

15) सहजन के फूल के फायदे – Moringa flower in hindi  सहजन के फूलों की चाय (Moringa flower tea) न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर होती है.

ये चाय यूरिन इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम ठीक करती है. सहजन के फूल सलाद के रूप में भी खाए जाते हैं. सहजन के इतने फायदे हैं कि गिनती कम पड़ जाये.

16) सहजन अनिद्रा, अस्थमा, हाइपरटेंशन, Rheumatoid आर्थराइटिस, एनीमिया, आंत का अल्सर भी ठीक करता है और घाव जल्दी भरता है.

17) दिमागी स्वास्थ्य के लिए सहजन लाजवाब है. सहजन डिप्रेशन, बेचैनी, थकान, भूलने की बीमारी ठीक करता है.
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मंगलवार, 24 नवंबर 2020

कैसे रहे सांलो साल यॉन्ग, क्या है लंबी उम्र और अच्छी सेहत का राज?. What is the secret of long life?

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 अब तक आपने यही सुना, पढ़ा होगा कि लंबी उम्र age  के लिए ये सब खाइए. लेकिन अगर आप लंबी और सेहतमंद जिंदगी चाहते हैं तो ऐसा भी बहुत कुछ है जिससे आपको तौबा करना होगा. कौन-सी है ये चीजें और क्या नुकसान हो सकता है,
और आप को  प्राक्रतिक आहार ऑर्गेनिक फूड Organic Food  की तरफ आना होगा, आपको अपने खाने में रासायनिक(Chemical) और जहर poisen का इस्तमाल से बचना होगा।

तो आइए जानते है  कैसे पाएं लंबी और सेहत मन्द  उम्र 

प्रोसेस्ड फूड fast food को  करें न,
फास्ट फूड(Fastfood) इन दिनों टसन बन गया है. खासकर नॉनवेज Non-vege  को प्रोसेस करके खाने का रिवाज बहुत गया है. इस प्रोसेस में सोडियम का इस्तेमाल होता है, जिससे प्रोसेस्ड फूड लंबे समय तक खराब ना हों. बेकन, सॉसेज, हॉट डॉग, सलामी, कोल्ड कट्स आदि इस श्रेणी में आते हैं. डायटीशियन डॉक्टर कहते हैं। ‘प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाने से शरीर के अंदर असंतुलन होने लगता है, गट गड़बड़ा हो जाता है और इसकी वजह से क्रोनिक इंफ्लेमेट्री स्थितियां बन जाती हैं.’ सप्ताह में एक बार प्रोसेस्ड फूड खा सकते हैं. 

आर्टिफीशियल मीठा या चीनी को करें गुड बाई Artificial Sugar
सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो सामान्य चीनी के स्थान पर शुगर फ्री गोलियों या पाउडर का इस्तेमाल करें. पर तमाम रिसर्च कहते हैं कि इनके प्रयोग से लिवर की प्रॉब्लम हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह नुकसानदेह है ही. इससे शरीर की एजिंग क्षमता पर भी फर्क पड़ता है.
आर्टिफिसियल डेयरी उत्पाद से बनाएं दूरी  Milk Products.
बिना चीज cheese के पिज्जा और पास्ता की कल्पना ही नहीं की जा सकती. पिछले दस वर्षों में पूरे विश्व में चीज की खपत 200% बढ़ी है. इसके ज्यादा सेवन से डाइजेस्टिव सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है. वजन बढ़ने, दिल की बीमारी, डायबिटीज, मुहांसे जैसी दिक्कत भी बढ़ती है. कुछ शोधों में तो यह भी कहा गया है कि इंसुलिन की तरह ग्रोथ फैक्टर के बढ़ने से कैंसर तक की संभावना बढ़ जाती है. 
सोडा Soda.
एरिएटेड ड्रिंक, सोडा या दूसरे कोल्ड ड्रिंक्स जिनमें ज्यादा मीठा होता है, सेहत को नुकसान पहुंचाता है. डॉक्टर नरूला के अनुसार, ‘इसे पीना मतलब चीनी और कैमिकल युक्त पेय का सेवन करना है.’ इससे शरीर के क्रैश करने की संभावना 18 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. डिमेंशिया, गाउट के अलावा कैंसर को भी यह बढ़ावा देता है. घातक केमिकल हमारे शरीर के कई अंगो को बेकार बना देते है।   
तला भुना आहार  Roasted and grilled Diet
फास्ट फूड यानी तेल में तला हुआ खाना. वॉटर टाउन मेडिकल सेंटर में हुए हाल के रिसर्च में यह पाया गया कि तेल में तला हुआ खाना, जिसमें सेचुरेटेड और ट्रांस फैट होता है, शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह है. पिछले कुछ सालों से बेक्ड और एयर फ्राइड फूड का चलन बढ़ा है, जो कम तेल में सही तरीके से पकाने की पद्धति है.
अगर वक्त रहते अपने खाने का तरीका और जीवन शैली बदल ली जाए तो उम्र भी बढ़ती है और सेहत भी.
आपको।  हरी   सब्जिया , ताजे फल, अनाज  और  हर तरह  के अनाज का इस्तेमाल करना चाहिए, अगर ये उत्पाद जैविक है तो आप की सेहत को बेहद फायदा पहुंचाते हैं।
आप अपने खान पान  पर अगर ये छोटी सावधानी बरतें तो आप लंबी उम्र तक  सुखी जीवन जी सकते है।


उबला हुआ खाना  खाये ,खाना शाकाहारी और उबालकर,
खाये। उबले हुए भोजन में सभी जरूरी पोषक तत्व बच्चे रहते है , ताजी हरी ऑर्गेनिक वेजीटेबल तथा फ्रूट्स  हमारी शरीर की anti aging cell को  डैमेज
होने से बचाते है। उनकी Healing   करते है।
और हैं लंबी उम्र तक जवां रहते है।
व्यायाम exercise. लंबी उम्र  पाने तथा
 फिट रहने के लिए शारीरिक व्यायाम बहुत जरूरी है, लगातार  व्यायाम करते रहने से बॉडी फिट रहती है। फालतू के कोलेस्ट्रॉल और हानिकारक तत्व बॉडी से निकलते रहते है। और हमारी बॉडी निरोग रहती।और हम लम्बी उम्र तक एक अच्छी खुशियों भरी लाइफ जी सकते है।

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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

क्या है आर्गेनिक सब्ज़ियां?? जानें इसके खाने के फायदे

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पारंपरिक खेती में उगी सब्जियां 

खेतो में उगाये जाने वाले फल और सब्जियो की उपज के लिये उनमें कई तरह के पेस्टिसाइड्स या रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कीड़े नहीं लगते और पैदावार बढ़ती है। पर यही रासायनिक पदार्थ सब्जियों के साथ हमारे पेट में जाते हैं। जिससे पाचन संबंधी गड़‍बडि़यां बढ़ती हैं। इसके अलावा और भी कई तरह की खतरनाक बीमारियों का कारण बनते हैं ये पेस्‍टीसाइड्स। इनका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि सब्जियों को धोने के बाद भी इनका प्रभाव पूरी तरह से समाप्‍त नहीं होता। इसलिए लोगों का रुझान ऑर्गेनिक सब्जियों की ओर बढ़ रहा है

क्‍यों अलग हैं ऑर्गेनिक सब्जियां.....

रासायनिक खाद और पेस्‍टीसाइड्स के प्रयोग से उगी सब्जियों के उलट इन सब्जियों को उगाने, बढ़ाने और पकाने के लिए किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता। इस तरह की उपज से तैयार होने वाले ऑर्गैनिक फूड हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं। और इसमें किये गये विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि वे वास्तव में गर्भवती महिलाओं और वृद्ध लोगों के लिए जैविक खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद साबित हुए हैं।

बूस्‍ट होती है प्रतिरक्षा प्रणाली...

जब आप ऑर्गैनिक फूड का सेवन करना शुरू करते हैं, तो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली के मजबूत होने से यह उत्पन्न होने वाले वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण को खत्म कर देते है। जिससे हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है।

बेहतर होता है स्‍वाद....

ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन पारंपरिक पद्धति के अनुसार होता है। इसे बिना किसी सिंथेटिक कीटनाशक का उपयोग किये ही उगाया जाता हैं। जिससे पौधे में एंटीऑक्सीडेंट तत्वो की मात्रा काफी बढ़ने लगती है। जब एंटीऑक्सिडेंट के तत्व उच्च स्तर पर पहुंच जाते है तो ऑर्गैनिक फूड खानें में स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थवर्धक भी होता है।


एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर.....

ऑर्गेनिक वेजिटेबल्‍स में उच्च स्तर के एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ये शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। ऑर्गेनोलेप्टिक गुणों में वृद्धि होती है। शरीर का मोटापा नहीं बढ़ता। और हम कई रोगों से मुक्त रहते है। ये फूड आइटम लंबे समय तक सुरक्षित रहने के साथ अच्छी सुगंध वाले ताजे और कोमल बने रहते है।

नहीं बढ़ती बीमारियां.....

यदि आप अपनी जीवन शैली को स्वस्थ रखना चाहते है को जैविक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। ये पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के कारण आपको पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते है। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों में पाये जाने वाले पौष्टिक घटक शरीर में बढ़ते रोगों के स्तर को कम करने में मदद करते है



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बुधवार, 18 नवंबर 2020

क्या है आयुष काढ़ा?? कोरोना काल में इसे पीने के क्या फायदे है?? इम्युनिटी बूस्टर इस कवाथ को कैसे बनाएं??What is Ayush Kwath ?? What are the benefits of drinking in the Corona era ?? What is the secret of immune booster


नमस्कर दोस्तो आज हम जानेंगे आयुष क्वाथ, पलभर में कैसे बनाएं 
तो चलिए देखते है इसके बनाने के तरीके, सबसे पहले हम समझते है  
आयुष काढ़ा (kwath) है क्या??
यह एक इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने के लिए आयुष क्वाथ (Ayush Kwath) एक भारतीय चिकत्सा पद्वति अयुर्वदिक फॉर्मूला है।
जिसका सेवन करने को आयुष मंत्रालय ने लोगों को कहा है। दावे के अनुसार इसे पीने से लोगों की इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
basically यह आपके किचन मे उपलब्ध कई तरह के औषधीय मशालों के एक विषेश मात्रा के साथ मिक्स करके बनता है।
क्या है इसके सेवन का तरीका??
आयुष क्वाथ के सेवन का सबसे अच्छा तरीका काढ़ा बनाकर पीने से है।
कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. विश्वभर के तमाम वैज्ञानिक इस वायरस का सटीक इलाज (Treatment) ढूंढ़ने में जुटे हुए हैं. दूसरी तरफ, बदलते मौसम में एलर्जी, वायरल फीवर और सर्दी-जुकाम की समस्या भी नजर आ रही है। कोरोना काल में ये परेशानियां भी लोगों की घबराहट का कारण बन रही हैं. ऐसे में अपनी इम्यूनिटी (Immunity) को मज़बूत रखने के लिए लोग आयुष क्वाथ (Ayush Kwath) का सेवन कर रहे हैं. आयुष मंत्रालय ने बताया है कि
 इसे पीने से लोगों की इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। यहां आपको हम बताएंगे कि कैसे  अपने घर पर ही आयुष क्वाथ तैयार कर सकते हैं.
आयुष क्वाथ बनाने के लिए औषधी इस प्रकार हैं.....
1,तुलसी का पत्ता- 4
2,दालचीनी छाल- 2
3,सुंथी(सौठ)- 2
4, कालीमिर्च - 1

घर पर ऐसे बनाएं...
इसे बनाने के लिए चारों जड़ी बूटियों को साथ मिलाकर पीस लें और लगभग 3 ग्राम पाउडर तैयार कर लें. लगभग 150 मिलीलीटर पानी को उबालें. जब पानी उबल जाए तो उसमें इस पाउडर को अच्छी तरह मिलाएं. काढ़ा बन जाने के बाद आप इसमें गुड़ या नींबू का रस मिलाएं और गर्म-गर्म ही इसका सेवन करें. 

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारी इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग मज़बूत होना बहुत जरूरी है. ऐसे में मंत्रालय के मुताबिक आयुष क्वाथ का इस्तेमाल करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होगा.
कब कब करे इसका सेवन??
 इसका सेवन नियमित रूप से दिनभर में 2 बार सुबह और शाम को किया जा सकता है.

कैसे करें इसका सेवन ??
आप चाहें तो इस पाउडर को अधिक समय तक भी रख सकते हैं. वहीं, कई आयुर्वेदिक दुकानों में भी ये उपलब्ध है. इन्हें आप किसी पाउच या टी बैग में भी डालकर रख सकते हैं.
आयुष क्वाथ के सेवन का सबसे अच्छा तरीका काढ़ा के रूप में इसे पीना ही है. आप चाहें तो उबलते पानी में इसे मिलाकर चाय या गर्म ड्रिंक के रूप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि आयुष क्‍वाथ 4 औषधीय जड़ी बूटियों को मिलाकर तैयार किया गया एक मिश्रण है. इसमें मिलाए गए तत्वों का इस्तेमाल कई घरों में आमतौर पर मसालों के रूप में होता रहता है इस लिए इनको पाना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

आप इसका सेवन लगातार कर सकते है। इससे आपकी चाय पीने की आदत भी छूट सकती है।
तथा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक भी होगा।
दो देर किस बात कि आज ही इसका सेवन करना शुरू करें।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

कौन सा आटा खाना अच्छा होता है? क्या है मल्टि ग्रेन (Multi grain) आटा?? क्यों होता है ये स्वास्थय वर्धक। Which flour is good to eat? What is multi grain flour ?? Why is this health enhance.

नमस्कार,
आज हम लाए है आपके लिए बहुत महत्व पूर्ण जानकारी। आटा  गेहूं का  आजकल भारत में सबसे ज्यादा खाए जाने वाला  खाद्य सामग्री है।
लेकिन क्या आप जानते है जो आटा आप  खाते है  वो कहां तक आपकी सेहत के लिए अच्छा है??.
क्या बाजार में बिकने वाला पैकेट बंद आटा खाना अच्छा होता है??
मल्टीग्रेन आटा क्या होता है?
क्या हम अपने घर पर बना सकते है मल्टिग्रेन आटा??
क्या है हैल्थ बेनिफिट इसके आइए जानते है इसके बारे में  डिटेल से।
आजकल की tuffभागदौड़ भरी जिंदगी में हम बड़े शहरों  city में नौकरी पेशा के लिए आते हैं और बस जाते हैं ।तथा इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय ना होने के कारण हम रेडीमेड खाद्य पदार्थों को खरीद कर खाना ज्यादा पसंद करते हैं आजकल तो रोटी पराठे चावल इत्यादि सब बने बनाए बिकते हैं जिनको सिर्फ हम लाए और गर्म करें और खा ले ।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके किचन में जो सील पैक आटा बाजार से आया है खरीद कर कितना शुध है क्या वह हंड्रेड परसेंट नेचुरल गेहूं से निकाला गया है?? क्या उसमें किसी तरह का हानिकारक केमिकल्स पेस्टिसाइड का इस्तेमाल नहीं किया गया?? क्या वह खाने योग्य है?? क्या ओ शुद्ध साफ और नेचुरल गेंहू से निकाला गया है आदि बहुत सारे प्रश्न है जिन को जानना और कंफर्म करना बहुत जरूरी है ।

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चलो दोस्तों मैं आपको बताता हूं ।
 बाजार में बिकने वाला आटा मिलावट युक्त होता है इसमें स्वाद को बढ़ाने के लिए सॉफ्टनेस को बढ़ाने के लिए तथा आप को एडिकट बनाने के लिए इसका अहदि करने के लिए तमाम तरह के एडिबल्स केमिकल्स मिलाए जाते हैं दोस्तों यह कई बार ओपन मार्केट से लिए गए आटे के सैंपल टेस्टिंग से सिद्ध हो चुका है की ऑटो में मिलावट होती है ।

दोस्तों अच्छे से अच्छे ब्रांडेड कंपनियां एक्स्ट्रा केमिकल मिलाते हैं जिससे उसका एडिक्शन बना रहे हैं , जो लोकल पूर्ति करने वाली कंपनियां हैं वह तो बहुत कुछ मिलाते हैं जैसे चावल के टुकड़े चावल की भूसी लकड़ी का बुरादा तथा इन सब की टेस्ट को बैलेंस करने के लिए इसमें आर्टिफिशियल केमिकल मिलाकर टेस्ट देते हैं और हमारे थाली तक पहुंचा दिया जाता  है।
जब हम रोटी बनाकर खाते हैं तो हमारे शरीर में तमाम तरह के रोगों को जन्म देता है  जैसे  in digestion की समस्या खून की कमी, डायबिटीज,  सुगर, ब्लडप्रेशर, मोटापा, हाइपरटेंशन, बच्चो में  लो  बॉडी ग्रोथ , आदि  अनेकों  प्रकार के रोग उत्पन्न   करते  हैं।

इस प्रकार के आटा से सभी जरूरी प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो जाते है जिससे हमारा शरीर  इसको डाइजेस्ट Digest नहीं कर पाता और अनेकों तरह के  बीमारियों Deseage के रूप में ये हमको रिएक्ट करती है।


आखिर कैसे पहचाने  pure शुद्ध आटा?? कहां से  खरीदे  शुद्ध आटा?? हम आज आपको कुछ बेसिक टिप्स Tips बताएंगे जिनसे आप  बिना मिलावट के आटा पा सकते है।
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आप अगर प्योर आटा खाना चाहते है तो पैकेट वाले  ब्रांडेड के चक्कर  में मत  पड़े। 
चक्की पता करे,आपके आस पास कहा है। वहां से अपने  आटा ऑर्डर पर  तैयार कराए। आटा ज्यादा बारीक नहीं होना चाहिए , आटा से चोकर (Brawn)  नहीं अलग होना चाहिए । 
 गेहूं के साथ साथ आप बाजरा  Millets , मक्का, सरसों चना, अलसी, सोयाबीन, मटर जैसे अनाजो को  थोड़ी थोड़ी मात्रा में भी मिश्रित करके मल्टीग्रेन multigrain आटा बनाकर खाएं।

अगर संभव हो तो गेहूं खरीद कर अपने पास  धुलाई करके रखे, और उसको चक्की से आटा बनवा कर खाएं।
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Why Multi grain Flour, मल्टी ग्रेन आटा  क्यों??

1. यदि आप मोटापे से परेशान है, तो इस प्रकार से अपने लिए मल्टीग्रेन आटा तैयार करें - 
पांच किलो गेहूं में एक किलो चना, एक किलो जौ, 200 ग्राम अलसी और 40 ग्राम मेथीदाना मिलाकर पिसवाएं।
2. अगर आप दुबलापन underweight से निजात चाहते है, तो इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें 
पांच किलो गेहू Wheat  में एक किलो चना, एक किलो जौ, 600 ग्राम सोयाबीन, एक किलो चावल का आटा डाल कर पिसवाएं। इस आटे के इस्तेमाल से आपको वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
3. अगर गर्भवती हैं तो इस प्रकार से Multigrain आटा तैयार करें -
पांच किलो गेहूं में एक किलो सोयाबीन, 250 ग्राम तिल, डेढ़ किलो चना, 600 ग्राम जौ मिलाकर पिसवाएं। इससे गर्भावस्था के दौरान आपको भरपूर पौष्टिकता मिलेगी।
4.  कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस प्रकार से  multigrain आटा तैयार करें।
पांच किलो गेहूं में एक किलो चना, आधा किलो मक्का, एक किलो जौ और 300 ग्राम अलसी पिसवाएं। इससे कब्ज से मुक्ति पाने में आपको मदद मिलेगी।
5. डायबिटीज़ हैं।  तो  इस प्रकार्  से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -
पांच किलो गेहूं में डेढ़ किलो चना, 450 ग्राम जौ, 50 ग्राम मेथी, 50 ग्राम दालचीनी डालकर पिसवाएं।
6. घर में बढ़ते बच्चे हो, तो उनके लिए इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें और खीलाए -
पांच किलो गेहूं में 300 ग्राम सोयाबीन का बीज, एक किलो चना और 500 ग्राम जौ मिलाकर पिसवाएं। इससे बच्चों की अच्छी growth ग्रोथ होने    में   साहायता करता है।

इन बातों का ध्यान भी रखना चाहिए -
आटे को थोड़ा मोटा  पिसवाना चाहीए।
आटे का चोकर अलग ना करें।
 मल्टीग्रेन आटा का ज्यादा स्टॉक ना भरे।,
  One time में एख हफ्ते या 15 दिन के लिए आटा पिसवाना चाहीए।

यदि आपको कोई समस्या नहीं है,
 तो भी आप मल्टिग्रेन
आटा खाएं, 
ये आपको  आगे जाकर बीमार होने से बचाएगा। आपको स्वास्थ रखेगा

लेख के बारे में कोई सुझाव या कॉमेंट यदि आप के पास है  तो हमें बताएं।
Thank you 



रविवार, 8 नवंबर 2020

क्या होता है A2 Cow घी? जानें इसके बेनीफिट



नमस्कार दोस्तों,आज हम लाए है आपके लिए जानकारी A2  गाय के घी के बारे में। आजकल बाजार में उपलब्ध बहुत सारे प्रकार और नेम के घी है,  पर क्या आप जानते है  ये सब घी में मिलावट होती है। ये सब घी बनाने के लिए जो दूध प्रयोग में लाया जाता हैं ओ विदेशी गायों  का होता है।उन गायों को  हानिकारक  सप्लीमेंट और इंजेक्शन दिए जाते हैं जिनसे ये ब्रीड ज्यादा दूध देती है।

लेकिन इनके दूध मे पोषक तत्वों की कमी रहती है, इनमें ज्यादा  fat  होता है । इस दूध से घी बनाए  जाने तक कई सारे अन्य उत्पाद निकाल  लिए जाते है। अतः इन घी में ज्यादा पोषक तत्व नहीं बचते है।




  और इस तरह तैयार इस घी को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए ख़तरनाक केमिकल और प्रिजर्वेटिव क इस्तेमाल किया जाता है।

A2 ghee  क्या होता है?  अभी तक  हमने जाना साधारण घी के बारे में।
अब हम आपको बताएंगे A2 घी के बारे में....
दोस्तों भारत देश पूरी दुनिया में अलग पहचान रखता है  ऋषि मुनियों की इस पवित्र धरती पर अनेकों तरह के जीव जंतु, वनस्पतियां तथा जानवर पाए जाते है। जिनकी अपनी अलग। पहचान रहती है पूरी दुनिया में,
इसी कडी में  गिर। गाय भी है।

जी हां दोस्तों। गिर काऊ, देशी गाय आदि अनेकों नाम से पुकारी जाने वाली भारत की देशी गाएं जो हरी घास खाती हैं और बहुत कम मात्रा में दूध देती है।इनका पालन भी बहुत कम किसान करते है क्योंकी इनकी परवरिश बहुत costly होती है। इनके  दूध को बिना किसी रसायन के प्रोसेस करके देशी बिलौना विधी से तैयार घी को A2 घी कहते है।

A2 घी में पोषक तत्वों की भरमार होती है।
इनमे amino acid, vitamin A,B, B12, B, B6,protein, vasa आदी अनेकों पोषक तत्व की भरमार 
होती हैं।इनके दूध में A2 बीटा केसिन प्रोटीन पाया जाता है.

साल 1993 में, न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक ने एक दिलचस्प खोज की. उन्होंने पाया कि दूध, विशेष रूप से A1 दूध टाइप 1 डायबिटीज, दिल की बीमारी और कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के बढ़ते मामलों से जुड़ा हुआ था. उन्होंने एक और दिलचस्प खोज की जिसके मुताबिक A2 दूध को पचाना आसान होता है और ये हेल्दी भी होता है.
इस अध्ययन से हमारी पारंपरिक भारतीय मान्यताओं को समर्थन मिला कि देसी गाय का दूध, जिसमें लगभग 100 प्रतिशत A2 बीटा केसिन होता है, वो ज्यादा पौष्टिक है.

कई अध्ययनों का दावा है कि देसी गाय ज्यादा स्वस्थ और मजबूत होती हैं. भारतीय जलवायु और पर्यावरण के लिए हमारी देसी गाय ही अधिक उपयुक्त हैं. इनमें गर्मी सहने और बीमारियों से लड़ने की ज्यादा ताकत होती है और इन्हें बचाने की जरूरत है।
Benefits of A2 Ghee, ए 2 घी के फायदे.

इसके जितने भी गुण बताया जाए ओ कम है, इसके बहुत गुण है यह एक प्रकार की औषधी है। आयुर्वेद में बहुत प्रकार की औषधियां इस के साथ खाने की सलाह आयुर्वेदिक डॉक्टर देते है रोगी को।  

मेंमोरी बढ़ाए
 यह छोटे बच्चो की मेमोरी बढ़ाने में सहायता करता है , इसमें ओमेगा-3 विटामिन ए विटामिन सी कैल्शियम आयरन फास्फोरस आदि अनेकों तरह के खनििज  पदार्थ पाए जाते हैं। यह खनिज पदार्थ इन में नैचुरल फॉर्म में उपलब्धध होते है।
जिन बच्चों का पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता बार-बार भूल जाने की समस्या, अंतरिक कमजोरी,खून की कमी, समय से  विकास न  होना आदि जैसी समस्याओं से ग्रसित है, ऐसे बच्चों को यह A 2 घी खिलाना बहुत फायदेमंद होता है।
 
हर्ट को स्वास्थ्य रखे 
A2 घी अभी बाज़ार में A,1 टाइप के उपलब्ध घी से बहुत कम फैट वाला होता है तथा इसमें प्रचुर मात्रा में मॉडल्स मिनरल पाए जाते हैं और फाइबर होते हैं जो आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है, और हार्ट ब्लॉकेज तथा फैट बर्न आदि में मदद करता है  इसको  खाने से और लगातार हल्के-फुल्के व्यायाम करने से आपका हृदय स्वस्थ रहता है।

मोटापा कम करता है
 इसमें Trans fats की मात्रा नहीं पाई जाती है, इसको आप रेगुलर सेवन करे।   ये आपके शरीर का फालतू  फैट कम करता है। इसमें प्रचुर मात्रा में  फाइबर पाया जाताा है जो हमारेेे  शरीर की  पाचन क्रिया को मजबूत रखता  है।  

पौरुष शक्ति बढ़ाए 
ये पुरुषो में मरदाना कमजोरी को दूर करता है तथा पुरुष शक्ति को बढ़ाकर यौन सुख में वृद्धि  करता  है। इसके लगातार सेवन से आप वैवाहिक जीवन में खुशियाँ पा सकते  है।  

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए 
यह (Ghee) इंसान के लिए एक सुपरफूड के तौर पर देखा जाता है , जो लोगों को कई गंभीर और मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है. साथ ही यह इम्यून सिस्टम (Immune System) रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत रखता है। इस लिए हर उम्र  के लोग इसका सेवन कर सकते है।  

ए-2 घी मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाने में मदद करता है. शक्ति और सहनशक्ति में सुधार करता है,. तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है और साथ ही आंखों और हृदय के स्वास्थ्य को भी हेल्दी बनाए रखता है. इसमें खासियत ये है कि ये सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है खासकर बच्चों के लिए इसे ज्यादा लाभकारी माना गया है.


दोस्तों  तो  देर किस  बात कि आज ही लाए  A2 घी और खाना शुरू करें।


Paas your comments and suggestion 
Thanks you.





बुधवार, 4 नवंबर 2020

कोरोना कॉल में अपनी और अपने परिवार की देखभाल कैसे करें?

नमस्कर,महामारी का समय चल रहा है, पुरी दुनिया इससे जूझ रही है।
रिसर्चर और वैज्ञानिक इसकी दवाई बनाने में लगे हुए है।
ऐसेमे यह जरूरी हो जाता है कि अपना और अपने परिवार की देखभाल कैसे करें। 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा दिए गए वचन 
"जब तक दावाई नहीं तब तक ढीलाई नही"
का पालन करना चाहिए।।
 

आइए जानते है हम कैसे अपने परिवार की देखभाल करें।

मास्क को बनाए अपने ड्रेसिंग स्टाइल का हिस्सा, मास्क सिर्फ आप को corona ही नहीं बल्कि अन्य फ्लू, मौशमी कफ,कोल्ड बुखार आदि से बचाता है,यह आजकल प्रदूषण भरी हवा में अच्छी सांस लेने में सहायता भी करता है,

साबुन या सैनिटाइजर?? जहां तक प्रश्न साबुन या  सैनिटाइजर का है , कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा साबुन ही प्रयोग में लाएं।अपने आंख कान नाक को टच करने से पहले अच्छी तरह साबुन पानी से हाथ धो लें। अपने कपड़ों को डिटर्जेंट पाउडर या साबुन से साफ करें  जहां तक हो सके सैनिटाइजर की तो कोशिश करें यदि आप साबुन और पानी की उपलब्धता वाले स्थान पर हैं तो आप सैनिटाइजर को छोड़कर सबसे पहले साबुन पानी के इस्तेमाल करें ये ज्यादा सुरक्षित है । सैनिटाइजर का इस्तेमाल बहुत अर्जेंट है जहां पर साबुन पानी ना हो और आपको लगाना जरूरी है तो  ही लगाए।

नियमित व्यायाम करें, अच्छी स्वास्थ्य लाइफ और मजबूत इम्युनिटी के लिए  
व्यायाम  आवश्यक है ।  फेफड़े स्वास्थ्य रहते है, body से खतरनाक कैमिकल उतसृजित हो जाता है और body healthy हो जाती है।

केमिकल युक्त दवा और खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल न करें।
शरीर में साधारण परेशानी होने पर  तुरंत allopathy की medicine ना खाएं, कोशिश करे कि ऑर्गेनिक और आयुर्वेदिक  दवा का इस्तेमाल करके उसको ठीक करने की कोशिश करें। लेकिन आजकल ये 
जरूर देखें कि ये  दवाइयां वाकई देशी हो और प्रमाणित स्टोर /दुकान से खरीदे। अगर ना मिले  तो   साबूत ही   इनको लें और अपने घर पर process करके उनको खाए।
ऑर्गेनिक भोजन करने से आपका शरीर कम chemical से इफेक्टेड होगा फलस्वरूप उसमें Desease से लडने की खमता ज्यादा होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे।
प्राकृतिक आहार में सभी तरह के chemical minerals पाए जाते है अपने प्राकृतिक स्वरूप में
होते हैं  जिसमें हमारी body पदार्थों को आवसेशित करने की छमता रखती है।
माइक्रो अवस्था में ऑर्गेनिक  प्लांट में पाए जाने वाले केमिकल मिनरल्स  पूर्ण्याताया सुध और प्राकृतिक होते है। इनका प्रयोग सरीर में  आहार पूरक से होकर बॉडी बिल्डिंग तक का कार्य करता है, और इम्युनिट को hard करने में मदद करता है।
लेकिन जब उन्ही केमिकल मिनरल्स को हम बाहर से सीधेप्रयोग में लाते है तो उनका असर तीव्र होता है और हमारी बॉडी का पूरा immunes system उनके इफेक्ट को balance करने में खत्म हो जाता है। परिणाम स्वरूप कमजोर इम्यून सिस्टम बाहर के हमलों से नहीं बचा पाता हमको और हम बीमार पड़ जाते है।

 Immunity boost कैसे करें,
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आप फ़्री की भारत में उपलब्ध  औषधियों का प्रयोग कर सकते है 
जैसे गिलोय,अमला, नींबू, संतरा,  चना, गुड़, हरे सब्जियां और साग,।  एक  
नेचुरल तरीके से आपकी immunity को boost Rekhta Hai, इनका प्रयोग आप थोड़ी थोड़ी मात्रा में रोज करें।

गिलोय इसका प्रयोग  आप जूस, चूर्ण, या चाय बनाकर 
या फिर गोली बनाकर रोजाना पूरे परिवार को दें,ये आपकी पूरे परिवार की स्वास्थ्य रखने की better medical herbs है।

अमला भारत में पाया जाने वाला ये  फल किसी चमत्कार   से कम नहीं है। इसका  फल बीज और छाल तक दवा होती है,
आप घर में इसका candy 🍭 या कच्चा खा कर या chutney के फार्म में या मुरब्बा बना कर इस्तेमाल कर सकते है। 

नींबू        हमारे  खाने  का  अहम हिस्सा  विटामिन मिनरल से भराहुआ      ये  फल गुणों से भरा हुआ है, आप अपने खाने के साथ ,या पानी में निचोड़ के 
या अचार के रूप में  इसको  सकते है। 
ये शरीर में जरूरी मिनरल्स और विटामीन तथा इम्युनिट cell को बढ़ाने का काम करता है।




संतरा, एक स्वादिष्ट फल है, यह फल विटामिन सी से भरपूर होता है तथा बहुत सारे पोषक तत्व तथा फोलिक एसिड इसमें प्रकृतिक मात्रा में पाए जाते हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं तथा बीमारियों से लड़ने में हमारे शरीर कि सहायता करते हैं इसलिए संतरे का उपयोग करें।

ऑर्गेनिक तरीके से उत्पादित हरे पत्तेदार सब्जियां तथा फल जिस में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है लेकिन जो सब्जियां और फल पेस्टिसाइड फ्री और खतरनाक फर्टिलाइजर से फ्री होते हैं उन्हीं सब्जी और फलों का इस्तेमाल करें, बाजार में उपलब्ध चिकने और चमकीले फल तथा साफ-सुथरी और अत्यधिक चमकीली और शाइनिंग देती हुई फल और सब्जियों से बचें इन फल और सब्जियों को खतरनाक केमिकल से प्रोसेस करके इसे बनाया जाता है।

अनाज  तथा दालें ऑर्गेनिक  खाएं, यदि ऑर्गेनिक अनाज उपलब्ध ना हो तो कोशिश करें कि ऐसी जगह से इनको खरीदें जो कम से कम पॉलिश किए गए हो और कम से कम चमकीले हों, आजकल बाजार में उपलब्ध चावल ,दाल ,आटा इत्यादि को खतरनाक केमिकल से कोटिंग करके उनको चमकीला देखने में शानदार बनाया जाता है।
 बाजार में उपलब्ध मैक्सिमम आटा उत्पाद में सोडियम ग्लूटामैट नाम के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है उस केमिकल के आड़ में गेहूं के आटे में अन्य तमाम तरह की मिलावट कर दी जाती है जो केमिकल्स  के प्रभाव से हमें समझ में नहीं आता हमें मुलायम चमकीली,
 साफ-सुथरी रोटियां देखने को मिलती है लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन के पश्चात धीरे-धीरे उन में लगाए गए खतरनाक केमिकल्स हमारे शरीर में जाकर के हमारे अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं तथा हमारे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को कमजोर करते हैं ।

इसलिए आप सब से निवेदन है कि प्राकृतिक तौर पर उत्पादित ऑर्गेनिक फल सब्जियां अनाज खाएं, यदि आप ऐसी परिस्थिति में हैं जहां पर यह सब उपलब्ध नहीं है तो कोशिश करें या गांव से ताल्लुक रखते हैं तो अपने गांव से खाद्य पदार्थों को ले जाने की कोशिश करें ,
या फिर बाजार में ऐसी जगह से इनको खरीदे जहां पर अनाज कम से कम प्रोसेस करके बेचा जा रहा हो।
उदहारण  के तौर पर आप के आस पास उपलब्ध आटा चक्की से आप साबुत गेहूं पिशा करके खा सकते हैं दाल चावल को आप कोशिश करें कि  पालिश फ्री, डल कलर का चावल और दाल ही ले।

 छिलके मिक्स ऐसे दाल और चावल का सेवन करें आटे के साथ-साथ चोकर अलग ना करें क्ोंकि इनमें फाइबर विटामिंस उपलब्ध होते हैं जो हमारे शरीर की पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं तथा बीमारियों से लड़ने को तैयार रखते हैं ।

 इन चीजों में सावधानियां बरतें आज की इस महामारी के दौर में अपने अपने परिवार को सुरक्षित रखे, इस प्रकार समाज में आप एक आदर्श उदाहरण पेश कर सकते हैं।







By rural organic India



मंगलवार, 3 नवंबर 2020

वर्तमान जिंदगी में निरोग और खुस रहने के तरीके

नमस्कार आप सभी का स्वागत है हमारे रूरल ऑर्गेनिक पेज पर, आज हम आपको बताएंगे एक सुखी और खुशहाल जिंदगी जीने के तरीके, दोस्तों आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत ज्यादा हमारे पास डिप्रेशन थकावट और बीमारियों के अलावा कुछ बचा नहीं है। हम  तथाकथित जो सुख सुविधाओं का उपभोग करते हैं उनसे हमको खुसी और स्वास्थ कुछ पल मात्र का मिलता है, बाकी तो बीमारियों और परेशानियों का होता है।ruralorganic.blogspot.com 

आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिसके  मार्ग पर अपनी दिनचर्या को चलाएं इससे आप निरोग रहेंगे  स्वस्थ रहेंगे और खुशहाल रहेंगे तो आइए जानते हैं इसके बारे में.......

1, प्रातः काल सूर्योदय होने से पहले या सुबह 6:00 
बजे तक उठ जाए। नित्य क्रिया करने के बाद  अपने ईस्ट भगवान  का ध्यान लगाए इससे आपकी मानसिक शांति  और दिमांग फुरत रहेगा।

2, मुँह में ताजा पानी रखकर  अपनी आँखों और चेहरे पर ताजे पानी के छीटें लगाए , इससे आँखों की सफाई होती है और देखने की छमता  बढ़ती है। अगर संभव हो तो सुबह सुबह नगें पांव हरी घास पर टहलें इससे आपकी आँखों की रौशनी बढ़ती  है।  

3, अपने दांतो को अपनी जीभ को अच्छी तरह से साफ करें और मसूड़ों पर शुद्ध तिल का तेल लगाकर मालिश करें। सप्ताह में कम से कम 2 बार आप नीम की दातुन करें, या फिर सरसों के तेल और नमक से अपने दांत और मसूड़ों की हल्के हल्के से मालिश करें। 

4, गर्मी में ताजे पानी से और सर्दी में हल्के गुनगुने पानी से अपनी नाक नासिका के द्वारा पानी को खींच कर के नाक को साफ करें। 

5, सप्ताह में कम से कम 3 से 4 दिन एक कप गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डाल कर के अपने गले में गरारा करें।

6, अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार सुबह-सुबह तीन से चार गिलास भरपेट ताजा स्वच्छ पानी पिए, फिर उसके बाद शौचालय जाए।  आपकी जो कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम है वह नहीं होगी आपका मोशन क्लियर होगा आपका पेट साफ रहेगा और आपको मल त्याग करने में नेचुरल प्रेशर बनेगा। 

7, कम से कम 5 मिनट तक लंबी सांस लें। 

8,  रोजाना 1 मिनट तक जोर से हंसे, लम्बी सांस लें, इससे आपके फेफड़े और ह्रदय  स्वस्थ्य रहेंगे।   

9, नित्य  व्यायाम योगा एक्सरसाइज करें। 

10, पूरे शरीर का शुद्ध सरसों का तेल या तिल का तेल लगाकर मसाज करें अपने इंद्रियों को कान नाक इत्यादि में सरसों का तेल लगाएं और हल्का हल्का मालिश करें। 


11, इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान करें केवल आयुर्वेदिक आर्गेनिक विधी से बने हुए साबुन शैंपू आदि का उपयोग करें। 

12, स्नान के ठीक बाद आरामदायक कपड़े पहनने और प्राकृतिक  जड़ी बूटियों से बने हुए सौंदर्य प्रसाधन के सामानों का ही इस्तेमाल करें खतरनाक केमिकल से बनी हुई क्रीम पाउडर या अन्य किसी भी सुंदर सामग्री का इस्तेमाल ना करें यह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.


13, नाश्ता करने से पूर्व आप सुबह सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस आमला जूस या व्हीटग्रास का जूस या गिलोय का जूस 15 से 20 ml लें। यह जूस आपके बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता डाइजेस्टिव सिस्टम इत्यादि को मजबूत करते हैं और आपके बॉडी में हारमोंस को बैलेंस करते हैं।

14 नाश्ता पोस्टिक होना चाहिए और प्राकृतिक होना चाहिए इसके लिए आप नाश्ते में सुबह-सुबह दलिया ताजे फल भीगे बदाम भीगे चने किशमिश शहद के साथ गर्म दूध या अंकुरित अनाज इत्यादि ले सकते हैं नाश्ता साफ सुथरा स्वच्छ ताजा ले और नाश्ता भरपूर करें नाश्ता बिल्कुल मिस ना करें।

15, इसके बाद अपने कार्य पर जाएं, आप अपने कार्य को शांत चित्त मन लगाकर करें अपने कार्य करने के दौरान अपना मन और अपना दिमाग अपने काम पर लगाएं और आनंद के साथ काम करें।

16, दिन भर में कम से कम 5 से 6 लीटर पानी का इस्तेमाल करें, घूंट घूंट कर पानी पिए अगर हल्की फुल्की भूख लगे तो आप ताजा फल, फलों का रस सूखे मेवे आयुर्वेदिक चाय आदि का सेवन कर सकते हैं। 

17 , दोपहर का लंच  शांत स्थान पर एकाग्र चित्त होकर बैठकर करें पौष्टिक और शाकाहारी भोजन करें भोजन को खूब चबा चबाकर खाएं और भोजन करते वक्त अन्य कहीं पर अपना ध्यान केंद्रित ना करें जैसे कि टीवी देखना मोबाइल चलाना या फिर कंप्यूटर लैपटॉप पर काम करना आदी।  गेम खेलना या दूसरों से बातें करना इत्यादि जैसे अनावश्यक चीजों पर भोजन  करते वक्त ध्यान ना लगाएं भोजन के दौरान सिर्फ भोजन पर ध्यान दें। 

18, शराब का सेवन ना करें या अगर आप करना चाहते हैं तो   occasionally करें प्रतिदिन नहीं।



19,चाय या  कांफी का इस्तेमाल कम से कम करे , हो सके तो हर्बेल पेय ले, या आयुर्वेदिक चाय का उपयोग करें। 


20,रात का खाना हल्का और साधारण होना चाहिए, ज्यादा मिर्च मसाले वाला नहीं। 



अपने किचन में सरसो का तेल या ओलिव आयल का ही इस्तेमाल करें, रिफाइंड का इस्तेमाल कम से कम करे।  आजकल बाजार में उयलब्ध रिफाइंड या लोकल कुकिंग आयल में खतरनाक केमिकल ,आर्जीमोन, पाम आयल का प्रयोग होता है ।  इसके सेवन से हमारी बॉडी में अनेको तरह की बिमारियों का आगमन होता  है।  हमारे देश में कभी भी ऐसे तेल को इस्तेमाल में नहीं लाया जाता था, ये तो आज बड़ी हुयी जनसख्या का पेट भरने और बाजारवाद में मुनाफा कमाने के लिए इन जहर को हमको खाना पड़ रहा है । 
लेकिन हम लोग भारतीय अगर थोड़ा सा  हमझ जाये अपने पूर्वजो को समझे आखिर कैसे ओ इतने कम सुख सुविधाओं के होते हुए भी  कैसे ज्यादा निरोगी, तेज, मेहनती, दिमाग वाले और मजबूत होते थे ।.

इस प्रकार की दिनचर्या अगर हम अपनाते है तो हम अपनी जिंदगी में रोग से बच सकते है, या कहे तो हम  अपनी शरीर को ज्यादा  निरोग रख सकते है।ruralorganic.blogspot.com

याद रहे खुस रहने के लिए आपको किसी और के सुझाव या किसी अलादीन की चिराग की जरूरत नहीं है, सिर्फ आप को  अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की  जरूरत है।  
पांच ऊगली , दिन  रात, धरती आकाश ,प्रकृति की बनावट आदि सब कुछ एक जैसी नहीं है, भगवन ने सब  कुछ गुण भाव और सामर्थ्य  एक जैसे नहीं दिए है यहाँ सब अलग अलग है । और अलग अलग अपनी पहचान रखते  है।  इस लिए हम इंसान को अपनी आदत गुण और सामर्थ्य के अनुसार ही जीवन यापन करना चीहिए , और जो कुछ भी आप अपने कर्म और मेहनत से अर्जित किये है उसी में खुस रहना चाहिए।

 याद रखे ये संसार कर्म प्रधान है।  

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।

जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥

सकल पदारथ हैं जग मांही।

कर्महीन नर पावत नाहीं ॥

इस लिये यहाँ आप कुछ न कुछ  कार्य जरूर करें।  बस यही ध्यान रखो की 
अपने कर्म में अपनी पूरी मेहनत लगन होस हवास लगा कर करे।  एक काम करते हुए सिर्फ उसी पर फोकस रखे दूसरे काम की सोच तब तक न  करें जब तक की आपका पहला कार्य ख़त्म न हो जाय।  

इस तरह आपक खुस रह सकते है ।    याद रहे खुसी जीवन ही सवस्थ्य जीवन का आधार है।     




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आप कमेंट करके हमें अपने सुझाव दें धन्यवाद् ।   










Organic गुड़ और A2 घी को मिलाकर खाने का फायदा

हम "रूरल आर्गेनिक इंडिया" (Rural Organic India) हैं। हम कई पीढ़ियों से भारत में जैविक खेती करते आ रहे है। हम एक अनुभवी किसान है। हम...